— चंद्रभूषण —
हाल में ऑस्ट्रेलिया की एक आदिवासी सांसद ने ब्रिटिश किंग चार्ल्स की इज्जत उतार दी। वहां की संसद में चार्ल्स के संबोधन के समय इस महिला सांसद ने कहा कि ‘तुम हमारे राजा नहीं हो। ब्रिटिश कब्जावरों को यहां रहने के लिए आदिवासी आबादी के सामने एक संधि प्रस्ताव रखना चाहिए।’ दुनिया में कई लोगों के लिए यह बात चौंकने का सबब बनी, लेकिन उपनिवेशवाद के लंबे दौर में औद्योगिक सभ्यताओं द्वारा आदिवासी समुदायों को जड़ से उखाड़ फेंकना दुनिया की एक भद्दी हकीकत है।
औद्योगिक युग का सबसे प्रखर प्रतीक हैं आधुनिक नगर, जिनके साथ आदिवासी मिजाज का मेल कुछ खास नहीं बनता। फिर भी रांची, हजारीबाग, पुरुलिया या जगदलपुर जैसे शहरों से आए लोग अपने माहौल पर एक नामालूम सी आदिवासी छाप होने की बात करते हैं। हकीकत में भारत का एक भी शहर ऐसा नहीं है, जिसमें आदिवासियों का पर्याप्त जोर हो और जहां वे प्रकृति से अपने सहज रिश्तों और रीति-रिवाजों के साथ जी सकें।
ऐसे शहर उन देशों में ज्यादा हैं, जहां उपनिवेशवाद की पहुंच पिछले दो-तीन सौ सालों में ही हुई है, और लाख चाहकर भी जहां आदिवासियों को पूरी तरह उजाड़ा नहीं जा सका है। मसलन, ऑस्ट्रेलिया में आदिवासी आबादी अभी सबसे ज्यादा ब्रिस्बेन और सिडनी में रहती है। क्रमशः 25 लाख और 50 लाख आबादी वाले इन दोनों शहरों में आदिवासियों की संख्या 65 हजार से ज्यादा नहीं है। लेकिन इस देश का सबसे ज्यादा आदिवासी छाप वाला शहर है पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया का ब्रूम, जिसकी अर्बन प्लानिंग में आदिवासी जीवनशैली का ध्यान रखा गया है।
ऑस्ट्रेलिया के पड़ोसी देश न्यूजीलैंड में माओरी जाति के आदिवासी वहां की मुख्यधारा में आ चुके हैं। माओरी फास्ट बोलर डैरिल टफी की याद कई लोगों के जेहन में अब भी बची होगी। लेकिन माओरी संस्कृति की सबसे स्पष्ट छाप वहां के ऑकलैंड शहर पर ही दिखाई देती है। प्रशांत महासागर के दूसरी तरफ लैटिन अमेरिका में ग्वाटेमाला सिटी की लगभग 50 लाख आबादी का आधा हिस्सा वहां के आदिवासियों का है और आदिवासी हनक वाले शहरों में उसका स्थान दुनिया में सबसे ऊपर माना जाना चाहिए।
जापान हाल तक खुद को एक-नस्ली बताते हुए अपने यहां आदिवासियों की उपस्थिति से ही इनकार करता आया है, लेकिन वहां की आदिवासी जाति आइनू की धमक अभी टोक्यो तक में सुनाई देने लगी है। कनाडा के कई शहरों में एस्किमो नस्ल की इनुइट आबादी आन-बान-शान के साथ रहती है। बहरहाल, दुनिया का सबसे ज्यादा आदिवासी मिजाज का शहर है धुर ठंडे मुल्क ग्रीनलैंड का नूक, जहां की 90 फीसदी आबादी इसी इनुइट जाति की ही है।