अंजलि जी पंचतत्व में विलीन

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अंजलि जी पंचतत्व में विलीन

बोधगया आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाली छात्र युवा संघर्ष वाहिनी की साथी अंजलि जी का अंतिम संस्कार धनबाद के बास्ताकोला श्मशान घाट में किया गया। इस अवसर पर बिहार आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले तथा छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के अनेक साथियों ने उपस्थित होकर श्रद्धांजलि अर्पित की। बोकारो से अदीप कुमार, महावीर कुमार और मनोज भारतीय के अलावा हरी प्रकाश लाटा जी, कृष्ण लाल रूंगटा जी, विजय झा जी, विवेका विद्रोही, दिनेश आज़ाद, राजीव रंजन सिंह, उमेश ऋषि, पन्नु जी, राही जी और रामचंद्र सहयोगी जी भी उपस्थित रहे।

अंतिम संस्कार में कोई कर्मकांड, विधि या रीति-रिवाज नहीं हुआ। अंजलि जी के जीवन साथी जयकिशन जी ने मुखाग्नि दी और अंजलि जी पंचतत्व में विलीन हो गईं।

अदीप के शब्दों में स्मरण

अंजलि जी पटना के जक्कनपुर में रहती थीं। वहीं उन्होंने छात्र युवा संघर्ष वाहिनी में सक्रिय भागीदारी की। जीवन-यापन के लिए उन्होंने शिक्षिका का कार्य किया। जयकिशन जी के साथ कार्य करते हुए उनसे जुड़ीं और बोधगया आंदोलन में महिलाओं को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

गोसाईं पेसरा आंदोलन के दौरान उन्होंने पुलिस की लाठियाँ खाईं और जेल भी गईं। बाद में जयकिशन जी से विवाह किया। अंजलि जी ने पेड़ लगाने और पर्यावरण रक्षा में उल्लेखनीय योगदान दिया और बिहार के कई जिलों में जयकिशन जी के साथ सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहीं।

वे संघर्ष वाहिनी की एकमात्र महिला साथी थीं, जो अपने कर्मक्षेत्र बोधगया के साथ जीवनोपरांत भी जुड़ी रहीं। उनकी मृत्यु की खबर से बोधगया के लोग अत्यंत दुखी हैं।
अदीप बताते हैं कि जब स्थानीय सहयोग से उन्होंने छोटानागपुर किसान विकास संघ बनाया, तब अंजलि जी ने वैचारिक सुझाव भी दिए।

संघर्ष और सेवा
लंबे समय से बीमार रहने के कारण वे अत्यधिक तकलीफ़ में थीं, लेकिन इस दौरान जयकिशन जी ने उनकी तन-मन-धन से सेवा की। आज आवश्यकता है कि जयकिशन जी को इस दुखद घड़ी को सहने और झेलने की शक्ति मिले
– प्रभात


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