5 जून। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन को युवाओं ने “यूपी बेरोजगार दिवस” के रूप में मनाकर राज्य में रोजगार की स्थिति पर फिर से चर्चा छेड़ दी है। बेरोजगार दिवस मनाने की अपील ‘युवा हल्ला बोल’ की तरफ से की गयी थी जिसमें युवाओं ने जमकर हिस्सा लिया।
इस मुहिम का असर ऐसा हुआ कि “यूपी बेरोजगार दिवस” लाखों ट्वीट के साथ लगातार ट्रेंड करता रहा। नतीजा हुआ कि उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी की हालत पर चर्चा छिड़ी और मुख्यमंत्री को लोगों ने उनके वादे याद कराए और दावों पर सवाल किए।
‘युवा हल्ला बोल’ के राष्ट्रीय समन्वयक गोविंद मिश्रा ने कहा कि एक बार फिर युवाओं ने आईटी सेल के झूठ को पछाड़ कर अपनी आवाज बुलंद की है। यदि सरकार अब भी रोजगार के अवसरों और सरकारी भर्तियों पर ध्यान नहीं देती तो युवाओं का यह असंतोष आंदोलन की शक्ल लेगा।
गोविंद ने याद दिलाया कि इन्हीं सवालों पर बीते 24 मार्च को इलाहाबाद में ‘युवा हल्ला बोल’ अध्यक्ष अनुपम के नेतृत्व में जोरदार ‘युवा महापंचायत’ का आयोजन हुआ था। रोजगार के मुद्दे को राजनीतिक विमर्श के केंद्र में लाने के लिए युवा महापंचायतों का सिलसिला आगे बढ़ाते हुए देश के कई शहरों में आयोजित किया जाएगा।
‘युवा हल्ला बोल’ के उत्तर प्रदेश प्रभारी रजत यादव ने ‘बेरोज़गार दिवस’ मुहिम में हिस्सा लेने वालों को बधाई दी और उम्मीद जताया कि ऐसी ही युवा एकता आगे भी कायम रहेगी। रजत ने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों समेत उन शिक्षकों का भी धन्यवाद किया जिनके सहयोग से सरकारों पर दबाव बन पा रहा है।
ज्ञात हो कि रोजगार पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे दावों पर लखनऊ में आयोजित एक प्रेस वार्ता में अनुपम ने कई गंभीर सवाल उठाए थे। इसके बाद से सरकार हरकत में तो आयी लेकिन भ्रामक दावे करने लगी।
अनुपम ने बताया कि सीएम आदित्यनाथ चार साल में चार लाख सरकारी नौकरी देने प्रचार करते हैं लेकिन जब आरटीआई के जरिए इन नौकरियों का विभागवार ब्यौरा पूछा गया तो उन्हीं की सरकार के पास कोई जवाब नहीं था। सवाल है कि जब सरकार खुद नहीं जानती की चार लाख सरकारी नौकरी कहाँ दी गई तो प्रचार में किस आधार पर यह दावा किया जा रहा है? इसके अलावा मुख्यमंत्री अन्य अवसरों पर भी झूठ बोलते पकड़े गए जब महराजगंज के दुर्गेश को लेखपाल की नौकरी देने का भ्रामक वीडियो जारी करवा दिया जिसे बाद में डिलीट करना पड़ा।
गोविंद मिश्रा ने बताया कि यूपीएसएसएससी की कई भर्तियां वर्षों से पूरी नहीं हुई हैं और सवाल पूछने पर उचित जवाब नहीं दिया जाता। एक तरफ सरकार जवाबदेही से भागती है तो दूसरी तरफ बार-बार झूठे दावे किए जाते हैं।
बेरोजगारी के खिलाफ तेज हो रहे अभियान के मद्देनजर युवा हल्ला बोल ने कहा है कि जिस तरह बिहार विधानसभा चुनाव में रोजगार को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया गया, उसी तरह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी ‘पढ़ाई कमाई दवाई’ के नारे को बहस के केंद्र में लाया जाएगा।