5 जून। शनिवार को देशभर में किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर संपूर्ण क्रांति दिवस मनाया। दिल्ली के पास के हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसे जोर-शोर से मनाया जाएगा, यह अनुमान तो हरेक को था और ऐसा हुआ भी, लेकिन शनिवार को देर रात तक जो खबरें मिलती रहीं उनसे इस बात की एक बार फिर पुष्टि हुई कि यह आंदोलन देशव्यापी हो चुका है।
देशभर में हजारों स्थानों पर संपूर्ण क्रांति दिवस मनाया गया और इनमें दक्षिण के राज्य भी शामिल हैं। सुदूर त्रिपुरा तक में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान का असर दिखा। इस दिन किसानों और किसान संगठनों तथा आंदोलन के समर्थकों ने भाजपा के सांसदों, विधायकों व भाजपा के अन्य नेताओं के दफ्तर के बाहर किसान विरोधी कानूनों की प्रतियां जलाईं।
कई जगह कलक्टर, एसडीएम के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन हुए और किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ ज्ञापन सौंपा गया। कई स्थानों पर प्रतियां जलाने से पहले इन कानूनों की ‘शवयात्रा’ निकाली गई।
संपूर्ण क्रांति दिवस के लिए 5 जून की तारीख इसलिए चुनी गई कि इसी तारीख को 1974 में जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया था। इसके अलावा, 5 जून को ही पिछले साल मोदी सरकार ने तीन किसान विरोधी कानूनों का अध्यादेश जारी किया था। 5 जून को सारी दुनिया में पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। कई जगह प्रदर्शनकारियों ने इसका भी खयाल रखा और पौधे रोपे।
संपूर्ण क्रांति दिवस पर हरियाणा में तीन कृषि कानूनों की वापसी के अलावा तीन किसानों की रिहाई की मांग भी जुड़ गई। टोहाना के जेजेपी विधायक बबली की बदसलूकी पर विरोध जता रहे किसानों में से तीन को पुलिस ने चोरी-छिपे जेल भेज दिया है। इसके विरोध में टोहाना में विशाल धरना आयोजित किया गया जिसमें राकेश टिकैत, योगेन्द्र यादव, गुरनाम सिंह चढूनी समेत कई प्रमुख किसान नेता और हजारों किसान शामिल हुए। संयुक्त किसान मोर्चा ने चेतावनी दी है कि अगर गिरफ्तार किसानों को रिहा नहीं किया गया और मुकदमे वापस नहीं लिये गए तो 7 जून को दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक पूरे हरियाणा में थानों का घेराव किया जाएगा।
हरियाणा सरकार किसानों के विरोध प्रदर्शन से घबराई और बौखलाई हुई नजर आई। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पर्यावरण दिवस के कार्यक्रम में करनाल जाना था, पर प्रदर्शनकारियों से बचने के लिए वह डेढ़ घंटा पहले ही निकल गए। पंचकूला में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
संयुक्त किसान मोर्चा ने 6 जून को मंदसौर (मप्र) के शहीद किसानों की याद में भी देशभर में कार्यक्रम करने का फैसला किया है। चार साल पहले, 2017 में, मंदसौर में एमएसपी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों पर पुलिस फायरिंग की गई थी, जिसमें पांच किसान शहीद हो गए। इस शहादत में संख्या और जुड़ गई, क्योंकि एक किसान को पुलिस ने थाने में पीट-पीट कर मार डाला था। इस गोलीकांड के बाद बहुत सारे किसान संगठनों ने मिलकर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति बनाई और एमएससी एक बड़ा मुद्दा बनने लगा।
संयुक्त किसान मोर्चा के एक निर्णय के अनुसार दिल्ली के सभी बार्डरों यानी धरना स्थलों पर महिला समितियों का गठन कर दिया गया है।