समाजवादी एकता सम्मेलन

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Socialist Unity Conference

भारत के भविष्य के प्रति आशावादी नागरिकों के लिए यह प्रसन्नता की बात है कि आगामी १९-२०-२१ सितंबर को पुणे में समाजवादी एकता सम्मेलन आयोजित हो रहा है। इस सम्मेलन के लिए राष्ट्रसेवा दल, यूसुफ मेहर अली ट्रस्ट, जनता ट्रस्ट और समाजवादी समागम जैसे नीति-निष्ठ सक्रिय संगठनों की एकजुटता बहुत उत्साहजनक है।

यह निर्विवाद सच है कि पूंजीवाद, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता के गठबंधन से कायम मौजूदा सत्ता प्रतिष्ठान के कारण देश का सामान्य जन एक साथ कमाई, महंगाई, दवाई और पढ़ाई के मोर्चो पर पराजित हो रहा है। गैरबराबरी, बेरोज़गारी, घाटे की खेती, शिक्षा और स्वास्थ्य के व्यवसायीकरण और उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार को बजाए सरकारी बढ़ावा मिल रहा है। देश में अरबपतियों की जायदाद और भारत छोड़ने वाले सुशिक्षित लोगों की तादाद बढ़ रही है और दूसरी तरफ सफल मंझोले, छोटे और लघु उद्योगों की संख्या और गरीबी के दलदल से अपने बाहर आने के अवसर घट रहे हैं।

नये समाधानों की आड़ में १९९० से लगातार बाजारवाद, निजी पूंजी और वैश्विक पूंजी को बढ़ावा देने से मध्यमवर्गीय भोग-विलास को प्रोत्साहन मिला है । लेकिन देश की आर्थिक आज़ादी और राष्ट्रीय सुरक्षा खतरों से घिर गयी है। दूसरे शब्दों में, आजादी के आठ दशकों में भारत में जनहितकारी व्यवस्था के सपने को साकार करने में पूंजीवाद असफल रहा है। सरकारीकरण और बाजारीकरण के अवतारों से किसानों, श्रमिकों, स्वरोजगारी लोगों और स्थानीय संसाधनों पर आधारित उद्योग -धंधों से जीवन‌‌ निर्वाह कर रहे करोड़ों स्त्री-पुरुषों को पूंजीवाद से निराशा मिली है। स्त्रियों, आदिवासियों, दलितों, पिछड़े अल्पसंख्यक समुदायों और अन्य वंचित समूहों के खिलाफ अपराध बढ़े रहैं। जल-जंगल-जमीन का सर्वनाशी शोषण जारी है। आर्थिक स्वावलंबन, सामाजिक न्याय तथा सहभागी शासन व्यवस्था आधारित राष्ट्र निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने की बजाए सुविधा संपन्न वर्गों की साजिशों के कारण लोकतंत्र और संविधान भी खतरे में है।

इस अंधकारमय वातावरण में नीति और कार्यक्रमों की प्रखरता से ही प्रकाश मिलेगा। इसके लिए समाजवादी सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध व्यक्तियों के बीच सार्थक संवाद और सगुण सहयोग की जरूरत है। समाजवादी समागम इस महत्वपूर्ण सम्मेलन का स्वागत करते हुए सभी सरोकारी नागरिकों से अपील करता है कि आप इस सम्मेलन में हिस्सा लें। इसे सफल बनाने में तन-मन-धन से सहयोग करें।

Prof Anand Kumar


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