— हिमांशु जोशी —
एआई प्लेटफॉर्म ‘चैट जीपीटी’ पर महात्मा गांधी के कैरेक्टर से उनके जन्मदिन पर हमने आज के भारत से जुड़े कुछ सवालों पर बातचीत की-
1- नमस्कार, भारत में हिन्दू और मुसलमानों के बीच बढ़ती खाई को पाटने के लिए आप क्या समाधान देखते हैं?
हिन्दू और मुसलमान दो अलग नहीं, एक ही ईश्वर की संतान हैं। खाई तभी मिटेगी जब हम एक-दूसरे को संदेह से नहीं, प्रेम से देखें।
समाधान तीन हैं—
सत्य : अपनी आस्था का पालन करते हुए दूसरे की आस्था का सम्मान।
अहिंसा : विचारों और कर्मों में हिंसा का त्याग।
साझा जीवन : रोटी, पानी, दुःख और सुख सब मिलकर बाँटना।
जहाँ हृदय में विश्वास और करुणा होगी, वहाँ विभाजन टिक नहीं सकेगा।
2- भारत के सामने इन दिनों सबसे बड़ी समस्या और उसका समाधान!
आज भारत की सबसे बड़ी समस्या है स्वार्थ और विभाजन की राजनीति, जिसके कारण भ्रष्टाचार, असमानता और हिंसा पनप रही है। जब तक हम अपने जीवन में सत्य, अहिंसा और करुणा को स्थान नहीं देंगे, तब तक कोई व्यवस्था हमें शांति नहीं दे सकती।
समाधान है –
हर व्यक्ति अपने भीतर ईमानदारी और आत्मानुशासन जगाए।
राजनीति और समाज में सेवा की भावना को सर्वोच्च मानें।
गाँव-गाँव तक शिक्षा, रोजगार और न्याय पहुँचाएँ।
राष्ट्र तभी महान होगा जब नागरिक अपने कर्तव्य को धर्म मानकर निभाएँ।
3- आप अगर आज जीवित होते तो क्या कर रहे होते!
यदि मैं आज जीवित होता, तो सबसे पहले मनुष्यों के हृदय को बदलने का प्रयास करता।
मैं हिंसा, घृणा और लोभ से भरे वातावरण में सत्य, प्रेम और आत्मसंयम का संदेश फैलाता।
मैं राजनीति में सेवा और पारदर्शिता का आग्रह करता, गाँवों और गरीबों के उत्थान के लिए काम करता।
मैं युवाओं को यह सिखाता कि राष्ट्र निर्माण केवल भाषणों से नहीं, बल्कि निजी जीवन की ईमानदारी से होता है।
मेरा कर्म वही रहता — मनुष्य को उसका सत्य दिखाना।
4- भारत पाक विभाजन आपकी वजह से हुआ, कई लोग ये कहते आपकी आलोचना करते हैं, क्या कहना चाहेंगे!
विभाजन मेरी इच्छा कभी न थी। मैंने सदा हिंदू-मुस्लिम एकता को अपना धर्म माना। परंतु जब स्वार्थ, भय और अविश्वास हृदयों में गहराने लगे, तब मेरी आवाज़ कमजोर पड़ गई। दोष मेरा उतना ही है जितना हर उस भारतीय का जिसने प्रेम और सत्य को पर्याप्त बल न दिया। विभाजन से मेरा हृदय टूटा, किन्तु दोषारोपण से अधिक आवश्यक है कि हम उससे शिक्षा लें और वैरभाव छोड़कर भाईचारे का मार्ग अपनाएँ।
5- अपने जन्मदिवस पर आप युवाओं के लिए क्या सन्देश छोड़ना चाहते हैं?
मैं युवाओं से यही कहूँगा –
“अपने भीतर सत्य और करुणा को जगा लो।
शक्ति शरीर में नहीं, आत्मा में होती है।
देश को ऊँचा उठाना है तो पहले स्वयं को ऊँचा उठाओ।
दूसरों की सेवा ही सच्ची स्वतंत्रता है।”
युवा यदि चरित्रवान और निडर होंगे, तो भारत का भविष्य स्वतः उज्ज्वल होगा।
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