जी जी आपके सपनों को मंजिल तक पहुंचाएंगे! – डॉ सुनीलम

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म स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ जी जी परीख को चाहने वाले उनसे कहा करते थे कि आप महात्मा गांधी जी की तमन्ना पूरी करेंगे, 125 साल जिएंगे । हम उनके 30 दिसंबर 2025 को 101 वर्ष की उम्र पूरी करने के अवसर पर भव्य कार्यक्रम की तैयारी कर रहे थे। जी जी के मन के मुताबिक तुषार गांधी जी के नेतृत्व में संविधान सत्याग्रह यात्रा का अंतिम दिन था । सुबह ही खबर मिली जी जी नहीं रहे।

2 अक्टूबर 25, गांधी जयंती, लालबहादुर शास्त्री जयंती और विजय दशमी के दिन जी जी का देहांत हो गया।  देशभर के समाजवादी और गांधीवादी 2 अक्टूबर से 12 अक्टूबर के बीच गांधी-लोहिया-जयप्रकाश की स्मृति में कई दशकों से तीनों नेताओं के विचारों की प्रासंगिकता और आवश्यकता को लेकर कार्यक्रम आयोजित करते आ रहे हैं।  अब डॉ जी जी परीख का नाम भी इस पखवाड़े में जुड़ गया।

डॉ जी जी परीख के व्यक्तित्व और कृतित्व को यदि देखा जाए तो उसमें आपको गांधी जी का सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह का विचार, डॉ लोहिया का सप्त क्रांति का विचार और जेपी का संपूर्ण क्रांति के विचारों का समावेश मिलेगा। गांधी-लोहिया-जयप्रकाश ने समाज, देश और दुनिया में हो रहे सामाजिक -आर्थिक अन्याय, अत्याचार, भ्रष्टाचार और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने का काम सड़कों पर संघर्ष करते हुए आजीवन किया था। जी जी भी कभी अन्याय का प्रतिकार करने से पीछे नहीं हटे। अंग्रेजी हुकूमत हो या अपनी सरकारें, उन्होंने नीतिगत विरोध किया।

तीनों से आगे जाकर डॉ जी जी परीख ने आजीवन पेशेवर डॉक्टर होने के नाते वंचित तबकों का निःशुल्क या सस्ते दामों पर इलाज भी किया। कभी सरकारी नौकरी नही की, प्राइवेट प्रैक्टिस की। ग्रांट रोड वेस्ट के संभ्रांत इलाके की गणेश प्रसाद बिल्डिंग में रहते हुए उन्होंने संडे क्लिनिक युसूफ मेहेरअली केंद्र के माध्यम से शुरू की, जिसके मार्फत उन्होंने रायगढ़ जिले के पनवेल ग्रामीण क्षेत्र के आदिवासियों की चिकित्सा सेवा का काम 1965 से शुरू किया, अस्पताल के तौर पर जो आज भी जारी है।

डॉ जी जी परीख के जीवन की यही सबसे बड़ी खासियत, जो उन्हें अति विशिष्ट बनाती है, वह है जी जी ने जो भी उपक्रम शुरू किया उसे आजीवन पूरी शिद्दत से चलाया। बीच में किसी भी विपरीत परिस्थिति के बावजूद नहीं छोड़ा। 9 अगस्त 1942 को गांधी जी के आवाह्न पर शुरू किये गए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में न केवल जी जी शामिल हुए बल्कि उन्होंने 10 महीने जेल भी काटी।

डॉ लोहिया ने 9 अगस्त 1942 के 25 वर्ष पूरे होने पर अगस्त क्रांति दिवस को जन क्रांति दिवस के तौर पर मनाने का सुझाव देते हुए पोस्ट कार्ड लिखा लेकिन उसके पहले से ही जी जी ने “आगस्टियर्स ग्रुप” बनाकर गिरगांव चौपाटी से गोवालिया टैंक मैदान (जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान कहा जाता है) तक हर 9 अगस्त को मौन जुलूस निकालने का सिलसिला शुरू कर चुके थे, जो आज भी जारी है।

इसी तरह डॉ जी जी परीख ने 1946 में जनता वीकली की शुरुआत की, जो लगातार प्रकाशित की जाती रही है। आजकल डिजिटल फार्म में निकाली जा रही है। इसी तरह डॉ जी जी परीख ने 1961 में युसूफ मेहेरअली केंद्र की स्थापना ग्रामीण विकास का वैकल्पिक मॉडल देश और दुनिया के सामने रखने के लिए तारा ग्राम में की, जो आज 12 राज्यों में सक्रिय तौर पर कार्यरत है।

इसी तरह जी जी ने गांधी जी के प्रभाव में आकर खादी पहनना शुरू किया, इसे उन्होंने गांधीजी के अनुसरण करते हुए कपड़ों तक सीमित नहीं रखा बल्कि उन्होंने देशभर में खादी की बुनाई, कताई, खादी वस्त्र बनाने वालों को जोड़ा, खादी की इकाइयों को विक्रय केंद्रों से जोड़कर उन्हें मजबूती दी। इसी तरह खादी ग्रामोद्योग की उन्होंने युसूफ मेहेरअली केंद्र, तारा में शुरुआत की। वह इकाइयां आज भी कार्यरत है।

डॉ जी जी परीख की सादगी की तुलना लालबहादुर शास्त्री से की जा सकती है। जी जी कभी भी मठी गांधीवादी नहीं बने अर्थात सरकारों के साथ नहीं खड़े हुए, सरकारों पर आश्रित नहीं रहे। उन्होंने मूल्यों पर आधारित जीवन जिया। वे मानते थे कि आजादी के आंदोलन और समाजवादी आंदोलन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण मूल्य नैतिकता का मूल्य है। वे कहते थे कि समाजवादी कार्यकर्ताओं के निर्माण में नैतिकता और चरित्र के महत्व को अहम स्थान दिया जाना चाहिए। जी जी ने अपने परम मित्र मधु दंडवते और पत्नी मंगला बेन की तरह देह दान किया।

जी जी ने संपत्ति से कभी मोह नहीं किया। जीवन भर जिस क्लीनिक में मरीज देखा करते थे और जहां से जनता वीकली प्रकाशित होता था, दोनों यूसुफ मेहेरअली सेंटर के आर्थिक संसाधनों की पूर्ति हेतु बेच दिए। दोनों जी जी की निजी संपत्ति थी।
डॉ जी जी परीख के बारे में बहुत कुछ लिखा जा सकता है लेकिन एक पंक्ति में यदि कहना हो तो गांधी जी की तरह जी जी का जीवन ही उनका संदेश है।

जी जी की प्रेरणा से देश भर में कई अभियान चले । जिनमें मैं शामिल रहा उनका यहां उल्लेख कर रहा हूं। जी जी की प्रेरणा से मैंने सैकड़ों युवा प्रशिक्षण शिविर देश भर में आयोजित किए। डॉ लोहिया जन्म शताब्दी सप्त क्रांति विचार यात्रा यूसुफ मेहेरअली सेंटर और राष्ट्र सेवा दल द्वारा निकाली गई। सीएए-एनआरसी आंदोलन के दौरान समाजवादी विचार यात्रा 50 शाहीन बागों के बीच निकाली गई । नफ़रत छोड़ो संविधान बचाओ अभियान चला, 2014 अगस्त में समाजवादी समागम की स्थापना हुई । समाजवादी आंदोलन के 82, 85 और 90 वर्ष पूरे होने पर क्रमशः पटना, दिल्ली और पुणे में समाजवादी एकजुटता सम्मेलन आयोजित किए गए।

पुणे में आयोजित समाजवादी एकजुटता सम्मेलन के लिए डॉ जी जी परीख का यह निम्नलिखित संदेश पढ़ा गया।  जिसे आपको भी पढ़ना चाहिए। ” मुझे खुशी है कि मैं समाजवादी आन्दोलन के 90वीं सालगिरह देखने के लिये जिन्दा हूं। जो कार्यक्रम पुणे में हो रहा है उसमें मैं हाजिर नहीं रह पाऊंगा। परन्तु 101 वर्ष की उम्र में भी मैं समाजवादी हूं, आज भी जितना संभव है उतना यूसुफ मेहेरअली सेंटर का काम कर रहा हूं, इस पर मुझे गर्व है।

गांधी जी ने कहा था मेरा जीवन ही मेरा संदेश है। इसके अलावा समाजवादियों को क्या संदेश देने की जरूरत है ? इस समय देश का वातावरण नफ़रत और हिंसा भरा बनाया जा रहा है। समाजवादियों ने कभी नफ़रत को आगे नहीं बढ़ने दिया। अब बढ़ रही है। इसको रोकने के लिए समाजवादियों को हर संभव प्रयास करना चाहिए। यह हमारा सिद्धांत भी है और परंपरा भी।समाजवादियों से मुझे एक दो बातें कहने की इच्छा है। हमने पावर (सत्ता) को बहुत अधिक महत्व दिया, इसका असर यह हुआ कि सिद्धांत और मूल्यों को छोड़कर भी पावर में आना हमारा एक मकसद हो गया और इसकी वजह से जो कार्यक्रम हमने समाजवाद लाने के लिए अपने आपको दिए थे, उन पर जितना महत्व देना चाहिए था, हम नहीं दे पाए।

हम बिना सरकार और सत्ता में आए भी क्या कर सकते हैं? इसपर भी सोचना चाहिए। उसकी योजना बनानी चाहिए। पहले हमने बहुत ट्रेड यूनियन बनाए, आज कोई नई ट्रेड यूनियन बनाते साथी दिखाई नहीं पड़ते। हमने बहुत सारे कोऑपरेटिव बनाए, आज वह नहीं बन रहे हैं। हम एक घंटा देश को देंगे, यह स्लोगन दिया। इसका पालन किया, आजकल कोई समाजवादी इसकी बात भी नहीं करता, क्यों ?

ऐसे बहुत से कार्यक्रम हमने देश की भलाई के लिए और देश की उन्नति के लिए दिए क्या उन सबको हमने भुला दिया? हम समता की बहुत बात करते हैं लेकिन क्या हम खुद अपने जीवन में समता के मूल्य को जीते हैं? हमने स्त्रियों को नेतृत्व के स्थान पर पहुंचाने के लिए कोई खास कदम नहीं उठाए। हमने माइनॉरिटी को साथ में लाने के प्रयास जरूरत से कम किये, हम अगर अनेकता में एकता मानते हैं तो यह लीडरशिप पोजिशन में क्यों दिखाई नहीं देता है ? इस दिशा में बहुत सारे कदम उठाए जाने की जरूरत है।

हम पर्यावरण को लेकर जागरूक नहीं है। यह आज और कल का बहुत बड़ा सवाल है लेकिन इस विषय पर हमारा बहुत कम ध्यान है। मेरी आप लोगों से दरखास्त है कि आप निर्णय लें कि हम नए कोऑपरेटिव बनाएंगे, नए ट्रेड यूनियन बनाएंगे।
हमने एक जमाने में एचएमएस और एचएमकेपी को एकजुट किया था , एक साथ आए भी थे। फिर क्यों अलग अलग काम करते हैं?

हम समाजवादियों को हर गांव, हर शहर में ऐसे ग्रुप बनाने चाहिए, जो पर्यावरण को लेकर अपने जीवन तथा समाज के लिए क्या कर सकते हैं, उसके बारे में सोचे और काम करे। जब हम विकास की बात करते हैं तब हमको इस विकास को पर्यावरण के संदर्भ में व्याख्यायित करना चाहिए। हमने यूसुफ मेहेरअली सेंटर के माध्यम से यह प्रयास किया है। आप भी कीजिए।
रचना और संघर्ष इन दोनों में समाजवादियों को ज्यादा भाग लेना चाहिए। समाजवादियों की संस्थाओं को एक साथ आकर रचनात्मक और वैचारिक काम ‘हम समाजवादी संस्थाएं’ के माध्यम से करना चाहिए।

स्कूल फॉर सोशलिज्म बना है। उसको समाजवादी प्रशिक्षण और शोध का केंद्र बनाना चाहिए। एक और चीज जो बहुत बड़े पैमाने में हमको करनी चाहिए, वह विनोबा के अंशदान के विचार को आगे ले जाने की है। हर समाजवादी को अपनी आमदनी की एक फिक्स राशि समाज और समाजवाद के लिए खर्च करनी चाहिए। यह हमारा नियम बनना चाहिए”।
शुभकामनाओं सहित,
आपका
जीजी

संदेश से स्पष्ट है जी जी हमें बहुत सारा काम देकर गए हैं। जी जी और बाबा अढ़ाव की मंशा के मुताबिक समाजवादी एकजुटता सम्मेलन 19 से 22 सितंबर 25 में पुणे घोषणा पत्र-संकल्प पत्र पारित किया गया और सम्मेलन के फैसले के अनुसार देशभर में सत्याग्रहों की भर्ती के फॉर्म गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर 2025 को भरे गए। राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह को देखने के लिए जी जी हमारे बीच नहीं रहे। लेकिन जी जी की प्रेरणा सदा हमारे साथ बनी रहेगी ।

जी जी आपके सपनों को,
हम मंजिल तक पहुंचाएंगे।


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