झारखंडी शहीदों के सपने अब भी अधूरे हैं

0
झारखंड

झारखंड राज्य गठन की रजत जयंती धूमधाम मनाने को हर झारखंडी तैयार है.झारखंड के हर आदिवासी और मूलवासी के राज्य निर्माण का सपना 25 साल पहले पूरा हुआ था –यह जितना बड़ा सच है उससे बड़ा सच यह है कि शहीदों का वह सपना अभी भी अधूरा है जिसमें समता ,समानता ,न्याय और बंधुता का दर्शन निहित था.

तिलका मांझी से लेकर वीर बिरसा का सपना था “आबुआ आतु रे, आबुआ राज “. लेकिन अभी भी राज नौकरशाहों का है.उन दिक्कुओं का जिनने पिछले 200 वर्षों में खुलकर लूट मचाई और झारखंड की प्राकृतिक धरोहरों को तहस-नहस कर मरुस्थलीकरण की तरफ धकेल दिया.झारखंड के आधे से ज्यादा बच्चों को कुपोषण और तीन चौथाई महिलाओं को रक्तक्षीणता का शिकार बना दिया.आइए, इन से लड़ने और शहीदों के सपनों को साकार करने लिए धरती आबा बिरसा की जयंती पर यह संकल्प लें कि हमसब तबतक चैन से नहीं बैठेंगे जबतक “झारखंड के हर गांव में “आबुआ आतू रे ,आबुआ राज ” स्थापित नहीं हो जाता.

  • घनश्याम

Discover more from समता मार्ग

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment