हर मर्ज की एक दवा-गोबर और गौ मूत्र – डॉ योगेन्द्र

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Gau Mutra

देश में और कुछ की कमी हो, लेकिन बयानवीरों की कोई कमी नहीं है। नेताओं के बयान पढ़ें तो ऐसा लगता है कि देश विश्वगुरु के पद पर चमक रहा है, बल्कि कहिए कि विश्वगुरु ने पूरी दुनिया के कई – कई बार फेरे लगा चुका है। यहां नयी नयी अद्भुत तकनीक का विकास हो रहा है। लोग नाले की गैस से बनी चाय पी रहे हैं। ताली बजाकर असाध्य रोगियों का इलाज कर रहे हैं। यहां तक कि गौ मूत्र के पान और देह में गोबर लपेस कर सांसारिक दुःखों से मुक्ति पा रहे हैं। जिन्हें धर्म का एबीसी नहीं आता, वे फर्राटे से धर्म – ज्ञान बांट रहे हैं। आर एस एस के कोई होसबाले हैं, उन्हें बोलते हुए कम ही होश रहता है। वैसे भी आर एस एस के नेताओं का बयान पढ़िए तो समझ में नहीं आयेगा कि कौन सा बयान सच्चा है और कौन झूठा। खैर। इधर होसबाले ने फ़रमाया है कि मुस्लिम नदी की पूजा करें तो क्या हर्ज है? पहली बात तो यह है कि आप कैसे जानते हैं कि मुस्लिम नदियों का सम्मान नहीं करते और दूसरी बात यह है कि आपने पूजा कर किस किस नदी को बचा लिया? गंगा पर खूब बयान दिए जाते हैं। नमामि गंगे योजना भी चल रही है, मगर इस योजना में गंगा की कम नेताओं, अफसरों और ठेकेदारों का कल्याण ज्यादा हुआ है।

यहां तक कि गंगा ने अपने कल्याण के लिए गुजरात से एक बेटे को बुला लिया। उसके करोड़ों बेटे उनके किनारे बसे हैं। उनमें से कोई पसंद नहीं आया। ये सब निकम्मे थे तो गुजरात से पकड़ कर लाया, मगर गंगा आज भी थर थर कांप रही है। यहां तक कि गंगा का आरिजनल जल हरिद्वार में ही लूट लिया जाता है। नरौरा तक आते-आते जो जल पानी हो जाता है। आगे जो गंगा बहती है, उसमें पानी या तो नालों के बचते हैं या फिर सहायक नदियों के। पूजा में इतनी ताकत है तो यमुना को बचा लेते या दामोदर की रक्षा कर लेते। पूजा करने या आरती उतारने से नदियां नहीं बची है, न बचेंगी। ढकोसला, पाखंड और ठगी – जहां नस नस में व्याप्त हो, वहां बयान बच सकते हैं, नदियां नहीं। द्रमुक के सांसद सेंथिल कुमार ने बयान दिया है कि भाजपा को गौ- मूत्र राज्यों में सबसे ज्यादा वोट आता है। गौ मूत्र राज्य यानी हिंदी प्रदेश राज्य।

सेंथिल कुमार के बयान बहुतों को बुरे लगेंगे, लेकिन आपने इन राज्यों के साथ क्या किया? पाखंड और अंधविश्वास परोस कर लोगों के कान, आंख और मुंह बंद कर दिए। ऐसी सीख और पट्टी पढ़ाई कि वे असत्य को सत्य मानने लगे। प्रधानमंत्री को देश को नये मुकाम पर ले जाना था तो चंदन टीका लगा कर सोलहवीं शताब्दी में खींच कर ले गए। आज ही खबर है कि थावे के दुर्गा मंदिर में चोरी हो गई। दुर्गा मां के मुकुट और जेवर चोरों ने खोल लिए। मां ने कुछ नहीं कहा। मां के मुकुट और जेवर की रक्षा में पुलिसकर्मी लगे थे। वे भी रक्षा नहीं कर पाये। जिन्हें पूजा करनी है, वे पूजा करें। पूजा के बहाने वोट और संपत्ति की लूट न करें। पुजारियों का ड्रामा तो यह है कि ठंड में मूर्तियों को गर्म कपड़े पहनाए जा रहे हैं और ठंड के अनुकूल भोग का इंतजाम किया जा रहा है। लोग बेवकूफ तो बनाते हैं, लेकिन कितना बेवकूफ बनाओगे! आज के नेता कबसे धार्मिक होने लगे? जिन्हें रात दिन गाय का सींग बैल में और बैल का गाय में करना पड़ता है, वह धार्मिक कैसे हो जायेगा। झूठ जिसकी बोली में गुथा होता है, उसे आप धार्मिक मान कर वोट करते हैं तो ग़लती उसकी नहीं है।


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