18 अगस्त। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की ओर देश का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने दावा किया कि देश के छोटे किसान सरकार के लिए संकल्प और मंत्र हैं, और देश का गौरव हैं। उस संदर्भ में, उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को देश में छोटे किसानों की शक्ति बढ़ाने के प्रयास के रूप में प्रदर्शित किया। हालांकि पीएमएफबीवाई की हकीकत कुछ और है। यह वास्तविकता इस फसल बीमा योजना के बारे में शुरू से ही किये जा रहे प्रचार और झूठे दावों को उजागर करती है। कहानी उतनी ही झूठी और क्रूर है, जितनी एमएसपी की कहानी, जहां फिर से प्रधानमंत्री ने हमारे राष्ट्रीय ध्वज के नीचे खड़े होकर झूठे दावे किये।
पीएमएफबीवाई में, नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि निजी बीमा कंपनियों ने 2018-19 और 2019-20 में किसानों, राज्य सरकारों और केंद्र सरकार से सकल प्रीमियम के रूप में 31905.51 करोड़ रुपये एकत्र किये, जबकि भुगतान किये गये दावों की राशि केवल 21937.95 करोड़ रुपये थी, लगभग 10000 करोड़ के मार्जिन के साथ (सिर्फ 2 साल में) निजी बीमा कंपनियों के संचालन और मुनाफाखोरी के लिए बचते हैं। हम यहां पुराने संग्रहों की बात नहीं कर रहे हैं।
यह गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, झारखंड, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने पीएमएफबीवाई से बाहर होने का विकल्प चुना है। इस योजना के अंतर्गत आनेवाले किसानों की संख्या में साल-दर-साल काफी गिरावट आ रही है। उदाहरण के लिए, खरीफ सीजन के दौरान, 2018 में कवर किये गये किसानों की संख्या 21.66 लाख, 2019 में 20.05 लाख, 2020 में 16.79 लाख और 2021 में केवल 12.31 लाख (4 वर्षों में 57% कम) थी। कवरेज में गिरावट की कहानी साल-दर-साल रबी फसल में भी मौजूद है। 2018 खरीफ में शामिल कृषि फसलों की संख्या 38 थी, जो 2021 खरीफ तक घटकर 28 फसल हो गयी। बागवानी फसलों के मामले में, यह 2018 में 57 फसलों से गिरकर 2021 में 45 हो गयी। खरीफ 2018 के दौरान बीमित क्षेत्र 2.78 करोड़ हेक्टेयर था, जिसमें खरीफ 2021 में 1.71 करोड़ हेक्टेयर की खासी गिरावट देखी गयी। यह संख्या विफल पीएमएफबीवाई की वास्तविक कहानी कहती है, और प्रधानमंत्री को इस योजना का उल्लेख करते हुए इसे छोटे किसान की शक्ति बढ़ानेवाला बताना चौंकानेवाला है।
केंद्रीय मंत्रियों का विरोध
अब मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्रियों को अलग-अलग जगहों पर किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। 17 अगस्त को कर्नाटक के मैसूर में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे को उनके किसान विरोधी बयानों को लेकर गुस्साये किसानों का सामना करना पड़ा। वह वहां एक जन आशीर्वाद यात्रा कार्यक्रम में भाग ले रही थीं, जब विरोध कर रहे किसानों ने मांग की कि वह अपना बयान वापस लें, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि दिल्ली के आसपास के किसान असली किसान नहीं बल्कि कमीशन एजेंट हैं। इससे पहले, उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर में, एक और मंत्री को काले झंडे दिखाये गये। केंद्रीय रक्षा और पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट को अपनी जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान स्थानीय किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। मुजफ्फरनगर में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री संजीव कुमार बाल्यान के खिलाफ भाकियू टिकैत द्वारा एक अल्टीमेटम जारी किया गया है कि अगर उन्होंने किसानों के मुद्दों का जल्द समाधान नहीं किया, तो उन्हें क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
26, 27 को अखिल भारतीय सम्मेलन
26 और 27 अगस्त 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा का अखिल भारतीय सम्मेलन भारत के किसानों द्वारा लगातार, शांतिपूर्ण विरोध के 9 महीने पूरे होने को चिह्नित करेगा, जिसे दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा और सबसे लंबा विरोध प्रदर्शन कहा जा रहा है। यह सम्मेलन सिंघू मोर्चा पर होगा। इस सम्मेलन में लगभग 1500 प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है। इस कन्वेंशन का उद्देश्य पूरे भारत में किसानों के आंदोलन को और तेज करना है। इस बीच, मिशन उत्तर प्रदेश के तहत मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर की महापंचायत की तैयारी चल रही है। पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न स्थानों पर लामबंदी की बैठकें हो रही हैं।
युवा भागीदारी
वर्तमान आंदोलन का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण पहलू युवाओं की भागीदारी है, जो किसानों के रूप में अपनी पहचान बना रहे हैं, और जो विभिन्न तरीकों से आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं, भले ही वे सीधे खेती में शामिल न हों। श्रावण मास के इस पावन माह में हरियाणा के गांवों से युवा अपने गांवों से मिट्टी और पानी लेकर टिकरी बार्डर और सिंघू बार्डर के धरना स्थलों पर पहुंच रहे हैं। ये कांवड़ यात्राएं किसानों की वास्तविकता और उनके वर्तमान संघर्ष पर आधारित हैं, और विरोध करनेवाले किसानों के दृढ़ और शांतिपूर्ण प्रयास को समर्थन और एकजुटता का वचन दे रही हैं।
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