16 सितंबर। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की बंगाल इकाई ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर राज्य में फसल का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए कानून बनाने की मांग की है। गुरुवार को कोलकाता प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर किसान संघर्ष समन्वय समिति के पदाधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय सचिव अवीक साहा, राज्य सचिव कार्तिक पाल और राज्य कार्यकारिणी के सदस्यों समीर पुतातुंदा, तुषार घोष, हाफिज आलम सैरानी, प्रदीप सिंह ठाकुर, सुशांत झा, सुभाष नस्कर, संजय पुतातुंदा की ओर से लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल की 68 फीसदी भूमि कृषि कार्य में इस्तेमाल की जा रही है और 60 फीसदी से ज्यादा लोग खेती-किसानी में लगे हैं। लेकिन इतनी विशाल आबादी का जीवन दूभर हो गया है, क्योंकि उन्हें अपनी उपज का पुसाने लायक दाम नहीं मिलता है। दूसरी तरफ, खेती की लागत भी बढ़ती जा रही है। नतीजतन, किसान कर्ज के फंस जाते हैं और कइयों के लिए कर्ज का फंदा फांसी का फंदा भी साबित होता है।
इन हालात को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि पैदावार के लाभकारी मूल्य का कानून बनाया जाए। अलबत्ता किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किसानों के हक में यह मांग उठाते हुए खाद्य पैदा करनेवाले सभी लोगों को किसान की परिभाषा में शामिल किया है, यानी इसमेें अनाज, दलहन, तिलहन, गन्ना, फल उगाने वालों के अलावा पशु पालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन आदि में लगे लोगों के साथ ही खेतिहर मजदूर, बटाईदार, बागान में काम करनेवाले मजदूर आदि सभी शामिल हैं।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की बंगाल इकाई ने जीने के अधिकार को आजीविका के अधिकार से जोड़ते हुए कहा है कि राज्य सरकार अगर उपज के लाभकारी मूल्य का कानून नहीं बनाती है तो समन्वय समिति आंदोलन के लिए बाध्य होगी।
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