21 अक्टूबर। सिंघू मोर्चा पर गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की बैठक हुई। इस बैठक में एसकेएम ने एक बार फिर सिंघू मोर्चा पर 15 अक्टूबर 2021 को हुई हत्या की कड़ी निंदा की। पर बैठक के बाद जारी विज्ञप्ति में एसकेएम ने यह भी कहा है कि देश के सामने अब तक जो सबूत और रिपोर्ट सामने आए हैं, उससे साफ है कि यह घटना यूं ही नहीं हुई थी – बल्कि इसके पीछे किसान आंदोलन को बदनाम करने और उसे हिंसा में फंसाने की साजिश है। एसकेएम की मांग है कि केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर और कैलाश चौधरी, जिन्हें तस्वीरों में उन निहंग सिख नेता से मिलते दिखाया गया था, जिनका समूह नृशंस हत्या में शामिल है, को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।
किसानों को फंसाने और बदनाम करने की साजिश की जांच के लिए, एसकेएम ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा जांच की जानी चाहिए। एसकेएम पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि इस घटना में शामिल निहंग सिखों से मोर्चा का कोई लेना-देना नहीं है। एसकेएम ने एक बार दोहराया है कि सिंघू मोर्चा या किसी अन्य मोर्चा में इस हत्याकांड में आरोपी समूहों और समुदायों के लिए कोई जगह नहीं है। यह किसान आंदोलन है न कि धार्मिक आंदोलन।
26 अक्टूबर को देशभर में विरोध प्रदर्शन
लखीमपुर खीरी किसान नरसंहार के बाद, एसकेएम ने इस घटना में न्याय सुनिश्चित करने के लिए कई कार्यक्रमों की घोषणा की है ।पहले घोषणा की गई कि 26 अक्टूबर को लखनऊ में किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। आज, एसकेएम ने समय और फसल के मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस महापंचायत को 22 नवंबर तक के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कार्रवाई के लिए एक नए आह्वान में, अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने और गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाने और दिल्ली बॉर्डर पर 11 महीने के विरोध प्रदर्शन को चिह्नित करने के लिए, 26 अक्टूबर को पूरे देश में विरोध धरने का आह्वान किया।
तथ्यान्वेषी समिति
पंजाब के 32 किसान संगठनों की बुधवार को सिंघू मोर्चा पर बैठक हुई। सिंघु बार्डर पर हुई हत्या की तथ्यान्वेषी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए पांच सदस्यीय समिति का भी गठन किया गया। बैठक में पंजाब के किसानों से आह्वान किया गया कि वे सरकार की चल रही साजिशों को नाकाम करने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच कर मोर्चों को मजबूत करें। बैठक में पंजाब के माझा, मालवा और दोआबा क्षेत्रों में 24 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी नरसंहार के शहीदों की अस्थियों को किरतपुर साहिब, गोइंदवाल साहिब और हुसैनीवाला में विसर्जित करने के लिए ‘कलश यात्रा’ निकालने का भी निर्णय लिया गया। बैठक में किसानों से धान और गन्ने की खरीद, उर्वरकों की कालाबाजारी खत्म करने और उसकी पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने का मुद्दा भी उठाया गया।
भाजपा मंत्री अजय मिश्रा टेनी के काफिले में मारे गए शहीद-किसानों की अस्थियों को लेकर लखीमपुर से शुरू हुई शहीद कलश यात्रा भारत के कई राज्यों में जारी है। यूपी में, यात्रा पश्चिमी यूपी के कई जिलों जैसे मुजफ्फरनगर और मेरठ से होकर गुजरी। यात्रा सिवाया टोल प्लाजा से होकर गुजरी। मुजफ्फरनगर में तीर्थनगरी शुक्रताल में अस्थियों का सम्मानपूर्वक विसर्जन किया गया। प्रयागराज में अस्थियों को पवित्र गंगा नदी में विसर्जित किया गया। ऐसी यात्राएँ हरियाणा के जिलों से होकर भी गुजरीं – भिवानी में हर जगह भारी भीड़ यात्रा में शामिल हुई। करनाल में कई गांवों से यात्रा करने के बाद अस्थियां पश्चिमी यमुना नहर में विसर्जित की गयीं। महाराष्ट्र में यात्रा नासिक पहुंची, जहां आज अस्थियों को राम कुंड में विसर्जित कर दिया गया। इस यात्रा ने महाराष्ट्र के 15 जिलों का भ्रमण किया। एक यात्रा उत्तराखंड से होते हुए अस्थि कलश को भी ले जा रही है जो डोईवाला टोल प्लाजा तक पहुंच गयी। एसकेएम ने फिर कहा है, “लखीमपुर खीरी में किसान हत्याकांड मामले में न्याय के लिए हमारा संघर्ष जारी है, यह आगे और मजबूत होगा।”
भाजपा नेताओं के खिलाफ प्रदर्शन जारी
भाजपा और सहयोगी दलों के नेताओं के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में पिहोवा के पास सुरमी गांव में किसानों ने राज्य के खेल मंत्री संदीप सिंह को काले झंडे दिखाये। कैथल में सांसद नायब सैनी ने किसानों के विरोध के कारण अपना दौरा रद्द कर दिया। खास बात यह है कि काले झंडे के जरिए विरोध में दिख रहा किसानों का गुस्सा और प्रतिरोध दूसरे राज्यों में भी फैल रहा है। मध्यप्रदेश में पूर्व में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया को काले झंडे के विरोध का सामना करने की घटनाओं के अलावा, गुरुवार को अलीराजपुर जिले में, जोबट विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए आए भाजपा नेताओं का स्थानीय किसानों द्वारा काले झंडों के साथ विरोध किया गया।
धान खरीद के लिए प्रदर्शन
इस बीच, कई राज्यों में धान उत्पादक किसानों द्वारा खरीद में कमी को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। यह मामला राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी है, जहां किसान धान को यूपी से हरियाणा में प्रवेश करने से रोकने के राज्य सरकार के आदेश का विरोध कर रहे हैं। मौजूदा बाजार मूल्य सरकार द्वारा घोषित एमएसपी से काफी कम है।