6 जनवरी। 1. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 जनवरी को प्रस्तावित पंजाब के दौरे की खबर मिलने पर संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े 10 किसान संगठनों ने अजय मिश्र टेनी की गिरफ्तारी और अन्य बकाया मांगों को लेकर उनका प्रतीकात्मक विरोध करने का ऐलान किया था। इस उद्देश्य से 2 जनवरी को पूरे पंजाब में गांव स्तर पर और 5 जनवरी को जिला और तहसील मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन और पुतला दहन के कार्यक्रम घोषित किए गए थे। प्रधानमंत्री की यात्रा रोकने या उनके कार्यक्रम में अड़चन डालने का कोई कार्यक्रम नहीं था।
2. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 5 जनवरी को पंजाब के हर जिले और तहसील मुख्यालय पर शांतिपूर्ण विरोध किया गया। जब पुलिस प्रशासन द्वारा कुछ किसानों को फिरोजपुर जिला मुख्यालय जाने से रोका गया तो उन्होंने कई जगह सड़क पर बैठ कर इसका विरोध किया। इनमें से प्यारेयाणा का वह फ्लाईओवर भी था जहां प्रधानमंत्री का काफिला आया, रुका और वापस चला गया। वहां के प्रदर्शनकारी किसानों को इसकी कोई पुख्ता सूचना नहीं थी कि प्रधानमंत्री का काफिला वहां से गुजरने वाला है। उन्हें तो प्रधानमंत्री के वापिस जाने के बाद मीडिया से यह सूचना मिली।
3. मौके के वीडियो से यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रदर्शनकारी किसानों ने प्रधानमंत्री के काफिले की तरफ जाने की कोई कोशिश तक नहीं की। बीजेपी का झंडा उठाए “नरेंद्र मोदी जिंदाबाद” बोलनेवाला एक समूह ही उस काफिले के नजदीक पहुंचा था। इसलिए प्रधानमंत्री की जान को खतरा होने की बात बिल्कुल मनगढ़ंत लगती है।
4. यह बहुत अफसोस की बात है कि अपनी रैली की विफलता को ढकने के लिए प्रधानमंत्री ने “किसी तरह जान बची” का बहाना लगाकर पंजाब प्रदेश और किसान आंदोलन दोनों को बदनाम करने की कोशिश की है। सारा देश जानता है कि अगर जान को खतरा है तो वह किसानों को अजय मिश्र टेनी जैसे अपराधियों के मंत्री बनकर छुट्टा घूमने से है। संयुक्त किसान मोर्चा देश के प्रधानमंत्री से यह उम्मीद करता है कि वह अपने पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए ऐसे गैर जिम्मेदार बयान नहीं देंगे।
जारीकर्ता –
बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव