आखिर बच गया तिरंगा एक रंगी राजनीति से
— राकेश अचल —
देश में पिछले एक दशक से ' एक ' को लेकर जबरदस्त कोशिशें हो रही हैं, एक को अंग्रेजी में '...
धर्मनिरपेक्षता के बिना संघियों का तिरंगा प्रेम !
— प्रोफेसर जगदीश चतुर्वेदी —
मेरी सहानुभूति आरएसएस के उन कार्यकर्ताओं के साथ है जो तिरंगा फहरा रहे हैं ! हे भगवान इनकी रक्षा करना...
घिर गई है भारत माता
— प्रेम सिंह —
(भारतमाता एक बार फिर चर्चा में है। सौजन्य फिर से आरएसएस का है। केरल के उपराज्यपाल ने एक सरकारी आयोजन में...
क्या आपके पास है नागरिकता प्रमाणपत्र?
— राकेश अचल —
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूचियों के विवादास्पद सघन अभियान के बाद से मै परेशान हूँ और सोच रहा हूँ...
इमरजेंसी तब और अब : आपातकाल के 50 वर्ष के बाद...
— डॉ सुनीलम —
50 साल पहले 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा रायबरेली का चुनाव रद्द किए जाने के बाद...
पत्रकारिता/मीडिया दिवस
— परिचय दास —
धूप जब शब्दों की तरह फैलती है और छायाएँ जैसे संपादकीय रेखाएँ खिंच जाती हैं—उस समय हम समझ पाते हैं कि...
असहमति और उसे कहना लिखना भारतीय लोकतंत्र के लिये प्राणवायु है
— रमाशंकर सिंह —
हमने पिछले पचास पचपन बरसों से इस संवैधानिक प्रावधान का सबसे अधिक इस्तेमाल करते जनसंघ भाजपा और उनके आनुषंगिक संगठनों को...
स्वतंत्रता की छ्पी साँसें
— परिचय दास —
जो शब्द नहीं कहे जा सके, वे छपते रहे। जो छप न सके, वे दीवारों पर लिखे गए और जो दीवारों...
संकट के समय सरकार और नागरिक
— राकेश कायस्थ —
संकट के समय सरकार के साथ खड़े होना नागरिक का कर्तव्य है। लेकिन सरकार का कर्तव्य क्या है? पिछले सात दिनों...
अम्बेडकर का यश
— कनक तिवारी —
डाॅ. भीमराव अम्बेडकर तटस्थ मूल्यांकन के बनिस्बत अतिशयोक्ति अलंकार बनाए जा रहे हैं। उन्हें संविधान के आर्किटेक्ट या निर्माता के रूप...














