फादर की मौत का गुनहगार कौन

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— डॉ सुनीलम — फादर स्टेन स्वामी की अंतरिम जमानत की सुनवाई पूरी होने से पहले ही उनकी मौत हो गई। 84 वर्ष की उम्र तक...

राहुकाल से लोकतंत्र के निकलने की शेषकथा

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— जयराम शुक्ल — (तीसरी और अंतिम किस्त ) चाटुकारिता भी कभी-कभी इतिहास में सम्मान योग्य बन जाती है। आपातकाल  के उत्तरार्ध में यही हुआ। देशभर से...

जब जेपी की हुंकार से सिंहासन हिल उठा

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— जयराम शुक्ल — कांग्रेस के अध्यक्ष देवकांत बरुआ का नारा ‘इंदिरा इज इंडिया’ गली-कूचों तक गूँजने लगा। इसी बीच मध्यप्रदेश में पीसी सेठी को...

अनुशासन के नाम पर यातना पर्व

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— जयराम शुक्ल — आपातकाल पर मेरे दो नजरिए हैं, एक- जो मैंने देखा, दूसरा- जो मैंने पढ़ा और सुना। चलिए पहले से शुरू करते हैं। वो स्कूली...

बोलते रहना जरूरी है

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— श्रवण गर्ग — कुछ पर्यटक स्थलों पर ‘ईको पाइंट्स’ होते हैं जैसी कि मध्यप्रदेश में प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान माण्डू और सतपुड़ा की रानी के...

बिहार आंदोलन के नारे

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(किसी भी आंदोलन की सबसे ऊर्जस्वी और संक्षिप्ततम अभिव्यक्ति नारों में होती है। नारे धीरे-धीरे उस आंदोलन की पहचान और प्रेरणा भी बन जाते...

हमारे लोकतांत्रिक मूल्य क्या इतने कमजोर हैं!

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— शिवानंद तिवारी — बिहार आंदोलन के दरमियान पटना के गांधी मैदान में जयप्रकाश जी की सभा होने वाली थी। तारीख का स्मरण नहीं है।...

आपातकाल को भूल नहीं सकते

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— रामबाबू अग्रवाल — आजाद भारत के इतिहास में 25 जून की तारीख अहम है। इसी दिन यानी 25 जून 1975 को स्वतंत्र भारत के...

पत्रकारिता की बलि चढ़ाता मीडिया

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— शैलेन्द्र चौहान — इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का काम यह होना चाहिए था कि वह लोगों को जागरूक करे किन्तु टीआरपी के चलते समाचार चैनल इन दिनों...

ऐतिहासिक घटना है किसान मोर्चा व श्रमिक संघों का साथ आना

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— सुनीलम — एक मई को दुनियाभर में मई दिवस, 'दुनिया के मजदूरो एक हो' के नारे के साथ मनाया जाता है। भारत में भी...