समाजवादी विचारक सच्चिदानंद सिन्हा को अलविदा!
— रणधीर गौतम —
भारतीय समाजवाद के प्रेरणाओं के अनेक पुंज हैं। न जाने कितने नायकों ने समाजवादी विचार को अपनी साधना (चिंतन और कर्म)...
समाजवादी विचारक सच्चिदानंद सिन्हा नहीं रहे!
— मुकेश बालयोगी —
बिहार को भारत का उपनिवेश बनाकर रखने के खिलाफ संघर्ष का शंखनाद करने वाले समाजवादी विचारक सच्चिदानंद सिन्हा नहीं रहे! ज्ञान...
अलविदा समाजवादी चिंतक ओर लेखक सच्चिदानन्द सिन्हा!
— कुमार कृष्णण —
समाजवादी चिंतक ओर लेखक सच्चिदानन्द सिन्हा का बुधवार को निधन हो गया।उन्होंने मुजफ्फरपुर में अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली।...
हिंसा का मनोविज्ञान और करुणा का अंत – परिचय दास
कभी-कभी एक शहर की सड़कों पर ऐसा सन्नाटा उतर आता है, जो केवल मौन नहीं होता — वह हमारे भीतर की टूटन का संकेत...
लोकतंत्र बिहार से लौटेगा या अमेरिका से? – अरुण कुमार त्रिपाठी
लोकतंत्र की दुर्दशा से बेचैन भारतीय समाज एक ओर बिहार में चल रहे चुनाव की ओर उम्मीद से देख रहा है तो दूसरी ओर...
बड़े नेता होने के बावजूद वे कार्यकर्ता ही बने रहे! –...
सो साल बाद भी किसी नेता की याद में अगर कोई यादगार आयोजन होता है ,(बशर्ते परिवार वालों द्वारा आयोजित न हो) ...
सूर्य, सूप और संकल्प: छठ का काव्यात्मक प्रतिबिंब – परिचय दास
छठ की संध्या घाटों पर उतरते ही दृश्य बदल जाता है। सूर्य का अस्त जल में प्रतिबिंबित होकर झिलमिलाता है और घाट के किनारे...
सूर्य का आलोक: विश्व भर की आराधनाएं – परिचय दास
विश्व में सूर्य की पूजा एक ऐसे सांस्कृतिक रहस्य की तरह है जो समय, भूगोल और सभ्यता की सीमाएँ पार कर जाता है। पृथ्वी...
भागलपुर दंगे के 36 वर्ष – डॉ. सुरेश खैरनार
साथियो, इस साल भागलपुर दंगे को 36 वर्ष पूरे हो रहे हैं। भारत में बँटवारे के दौरान हुए दंगों के बाद भी छोटे-मोटे दंगे...
राम को तो रोज़ अपने घर लौटना चाहिए! – श्रवण गर्ग
हमें एक ऐसी दीपावली की दरकार है जो साल भर अविराम चलती रहे। हमने अनुभव कर लिया है कि जिस रावण का ‘विजयदशमी’ के...
















