राजनीति में जब कोई अपने को सेकुलर कहता है तो उसका अर्थ है ‘धर्मनिरपेक्ष’। मतलब है कि हमारी राजनीति से धर्म का कोई वास्ता नहीं है। धर्म अलग है, राजनीति …
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शिव बिना जन्म और बिना अंत के हैं। ईश्वर की तरह अनंत हैं लेकिन ईश्वर के विपरीत उनके जीवन की घटनाएँ समय क्रम में चलती हैं और विशेषताओं के साथ …
( दूसरी किस्त ) संघ परिवार की हाल की गतिविधियों से उसका जनाधार निश्चित रूप से बढ़ा है। लेकिन भारतीय समाज और हिन्दू धर्म के बहुकेन्द्रीय स्वभाव के कारण यह …
(अयोध्या आंदोलन के बहाने संघ परिवार की सांप्रदायिकता के उभार के दिनों में स्व किशन जी ने यह लेख लिखा था, जो कि उनके सबसे प्रसिद्ध लेखों में से एक …
— किशन पटनायक — हमारे समाज में कई तरह की विषमताएँ हैं। इनके खिलाफ असंतोष बढ़ता जा रहा है और वह अलग-अलग आंदोलनों या राजनैतिक उभारों में रूप में प्रकट …
सन 1977 के लोकसभा चुनाव के बाद देश में एक नया राजनीतिक बोध आया था, उन दिनों जनता पार्टी और उसके समर्थकों के बीच लोहिया को बार-बार याद किया जाता …
भाषा मनुष्य को स्वतंत्र करती है- यह कहने का तात्पर्य यह नहीं है कि जब भाषा नहीं थी, तब मनुष्य स्वतंत्र नहीं था। स्वतंत्रता कोई स्थिर या रूढ़ अवधारणा नहीं …
— राजकिशोर — बुद्धिजीवी और विचारधारा का रिश्ता घपले में पड़ा हुआ दिखता है तो इसके कारण दोनों तरफ हैं। कोई भी विचारधारा ऐसी नहीं है जिसकी आड़ में या …
— किशन पटनायक — प्रगतिशील बुद्धिजीवी समूह जब भी सांप्रदायिकता बनाम सेकुलरवाद की चर्चा करते हैं तो उनका एक प्रतिपादन यह रहता है कि धर्म और ईश्वर को मानने से …
(‘भारतीय समाजवादी आंदोलन की विरासत’ शीर्षक से कल प्रकाशित लेख का बाकी हिसा) स्वतंत्रता आंदोलन को महात्मा गांधी ने असहयोग, शांतिपूर्ण प्रतिरोध और सत्याग्रह के द्वारा जनता का आंदोलन बनाया। …
वेब पोर्टल समता मार्ग एक पत्रकारीय उद्यम जरूर है, पर प्रचलित या पेशेवर अर्थ में नहीं। यह राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह का प्रयास है।
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