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मेडिकल दाखिले के ऑल इंडिया कोटा में ओबीसी आरक्षण लागू न किए जाने पर रोष

by Rajendra Rajan
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19 जुलाई। नवनियुक्त शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 12 जुलाई को नीट परीक्षा की तारिख की घोषणा की। एमबीबीएस व बीडीएस कोर्स में प्रवेश के लिए प्रतिवर्ष नीट आयोजित की जाती है। इस वर्ष भी नीट की घोषणा में यह स्पष्ट कर दिया गया कि ऑल इंडिया कोटा की सीटों में अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। इसपर यूथ फॉर स्वराज ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

यूथ फ़ॉर स्वराज की ओर से जारी प्रेस वक्तव्य के मुताबिक सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में यह लिखा गया है कि राज्यों के अधीन आनेवाले मेडिकल कॉलेजों के ऑल इंडिया कोटे की सीटों में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का सवाल सलोनी कुमारी केस के फैसले के बाद हल होगा। नीट अभ्यर्थी सलोनी कुमारी ने 2015 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में 27 फीसदी आरक्षण लागू करवाने की माँग की थी।

यह गौरतलब है कि मद्रास उच्च न्यायालय में ऑल इंडिया कोटे में ओबीसी आरक्षण मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने यह दलील दी कि ऐसा ही मामला (सलोनी कुमारी केस) सर्वोच्च न्यायालय के पास लंबित है; इसीलिए मद्रास हाईकोर्ट इसकी सुनवाई नहीं कर सकता। इसपर सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया था कि सलोनी कुमारी केस ऑल इंडिया कोटे में ओबीसी आरक्षण के मामले को मद्रास उच्च न्यायालय में सुने जाने में बाधक नहीं है। इससे जाहिर है कि सरकार केवल बहाना बना रही है। मद्रास उच्च न्यायालय ने इसपर फैसला भी सुना दिया। आरक्षण लागू करने की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक कमिटी भी बनायी, जिसकी रिपोर्ट भी आ चुकी है। लेकिन केंद्र सरकार अब भी न्यायालय में खारिज किए जा चुके कुतर्क को दोहरा रही है।

यूथ फॉर स्वराज का कहना है कि सरकार के इस सामाजिक न्याय विरोधी फैसले से अभी 10,000 से अधिक विद्यार्थियों के हकों को कुचला जा चुका है।

यूथ फॉर स्वराज ने केंद्र सरकार के इस कदम की निंदा करते हुए मांग की है कि इस वर्ष से न केवल ऑल इंडिया कोटा में ओबीसी आरक्षण लागू हो बल्कि पिछले वर्षों के बैकलॉग भी भरे जाएँ।

सामाजिक न्याय का सिद्धांत भारतीय समाज को न्यायपूर्ण व समतावादी बनाने के लिए अवश्यम्भावी है। इससे किसी किस्म का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

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