Tag: प्रेमचंद
‘प्रेमचंद की परंपरा’ पर फातिहा न पढ़ें!
— वीरेंद्र यादव —
जब जब प्रेमचंद की चर्चा शुरू होती है तब तब प्रेमचंद को उनके वैचारिक व रचनात्मक सरोकारों से मुक्त कर ‘प्रेमचंद...
प्रेमचंद यदि आज होते
— प्रेमकुमार मणि —
सवाल कुछ अटपटा है. लेकिन यह सवाल मेरे मन में कभी- कभार उठता है. मैं नहीं जानता औरों के मन में...
प्रेमचंद की गरीबी और फटे जूते
— पंकज मोहन —
प्रगतिशील आलोचक रामविलास शर्मा ने लिखा कि प्रेमचंद गरीबी में पैदा हुए, गरीबी में जिन्दा रहे और गरीबी में ही मर...
प्रेमचंद की अंतिम यात्रा और बनारस
— शंभू नाथ —
प्रेमचंद की शवयात्रा में कितने व्यक्ति थे और ’आज’ तथा अमृत राय में कौन ज्यादा प्रामाणिक है, इनसे कुछ अन्य सवाल...
प्रेमंचद: आचार्य हजारी द्विवेदी की दृष्टि में
दुनिया की सारी जटिलताओं को समझ सकने के कारण ही प्रेमचंद निरीह थे, सरल थे। धार्मिक ढकोसलों को वे ढोंग समझते थे, पर मनुष्य...
साम्प्रदायिकता और संस्कृति – प्रेमचन्द
(प्रेमचंद का यह प्रसिद्ध लेख पहली बार 15 जनवरी 1934 को प्रकाशित हुआ था, आज इसका अधिक से अधिक प्रसार पहले से भी ज्यादा...