Tag: उमेश प्रसाद सिंह
पारस को पत्थर नहीं होना चाहिए
— उमेश प्रसाद सिंह —
पारस का प्रत्यय न जाने कबसे मनुष्यजाति की स्मृति में बसा है। स्मृति की सत्ता सजीव सत्ता है। स्मृति में...
वसन्त बूढ़ा होने नहीं देता
— उमेश प्रसाद सिंह —
कुछ लोग होते हैं जो बुढ़ापा को सामने खड़ा देख चिचियाने लगते हैं। कुछ तो ऐसे रिरियाने लगते हैं, जैसे...
खोये हुए वसंत की पीड़ा
— उमेश प्रसाद सिंह —
चैता सुख के खो जाने का गान है। भारतीय जाति बड़ी कठकरेजी जाति है। इसका दिल बड़ा कोमल है। पर...