— श्रवण गर्ग — बहती होगी कहीं तो वह नदी ! कहीं तो रहती होगी वह नदी ! बह रही होगी चुपचाप छा जाते होंगे ओस भरे बादल जिसकी कोमल …
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वेब पोर्टल समता मार्ग एक पत्रकारीय उद्यम जरूर है, पर प्रचलित या पेशेवर अर्थ में नहीं। यह राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह का प्रयास है।
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