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Tag: Contemporary Hindi Poetry

अनुपम की पाँच कविताएँ

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1. सर्वोदय दैनन्दिनी पर गांधी छवि    हे महान ! क्या पड़ी थी आपको उजड़े घर बसाने की करुणा हो जाने की बुद्ध मूसा, ईसा, मोहम्मद सबको आत्मसात कर परमहंस जहाँ पहुँचे ध्यान कर वहाँ...

देवेन्द्र आर्य की कविताएं

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बोलो कौन डूबेगा?   देख कर औक़ात बोलो शहर या देहात बोलो आख़िरी लमहात,  बोलो कौन डूबेगा? सौ की सीधी बात,  बोलो कौन डूबेगा?   ज़िन्दगी किसकी ज़रूरी है और किसकी ख़ानापूरी है क़ीमती हैं...

श्रवण गर्ग की चार कविताएं

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नहीं मरा है कोई ऑक्सिजन की कमी से कहीं ! मान सकते हैं आप इसे एक शुरुआत भी नहीं बचे रहने की हममें किसी इंसान की...

अनामिका अनु की कविताएँ

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1.लोकतंत्र   खरगोश बाघों को बेचता था फिर अपना पेट भरता था बिके बाघ खरीदारों को खा गये फिर बिकने बाजार में आ गये   2. लड़कियाँ जो दुर्ग होती हैं   जाति को कूट पीस...

गगन गिल की पाँच कविताएं

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तुम्हें भी तो पता होगा मैं क्यों दिखाऊँगी तुम्हें निकाल कर अपना दिल   तुम्हें भी तो पता होगा   कहाँ लगा होगा पत्थर कहाँ हथौड़ी   कैसे ठुकी होगी कुंद एक कील किसी ढँकी हुई जगह...

विमल कुमार की पाँच कविताएँ

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1. मेरा चाँद   कहाँ  गया मेरा चाँद लगता है वो कभी था ही नहीं मेरे आसमान पर अगर वो होता तो जरूर आता मेरे बाम पर   उतरता सीढ़ियों  से नीचे धीरे  धीरे फिर...

कविता में ग्राम-विमर्श

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— रामप्रकाश कुशवाहा — गाँव पर केन्द्रित चंद्रदेव यादव की तेरह कविताओं का अनूठा संग्रह है गाँवनामा। चंद्रदेव  यादव के अब तक तीन संग्रह ‘देस-राग’, ‘गाँवनामा’ और ‘पिता  का शोकगीत’...

दिविक रमेश की चार कविताएं

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टूटता है एकांत   कई दिनों से महज टहनियाँ बनी जी रही थी गिलोय की बेल। फूटीं पत्तियाँ ताजगी भरी तो लगा कि नहीं जगती उम्मीद भर, जगती है द्वंदों में जकड़ी...

शिव कुशवाहा की कविताएँ

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1. कविता की मुक्ति   समय जब पंख लगाकर उड़ रहा हो कुछ रिक्तता साल रही हो अंदर ही अंदर जब सब कुछ लग रहा हो फिसलन भरा तब...

वंशी माहेश्वरी की दस कविताएँ

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  स्मृति आत्म-द्वीप का खुला आकाश है   एक   घनी पत्तियों से ढँकी स्मृति अर्घ्य देते सूर्य के बिम्ब में सूख जाती है।   दो   शब्दों की वेशभूषा ढाँप लेती है रक्षा कवच रंगों से उड़ते रंग उड़ते...

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