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क्या पेट की ज़रूरत राहुल के लोकतंत्र पर भारी पड़ गई?
— श्रवण गर्ग —
महाराष्ट्र चुनावों में ‘महाविकास अघाड़ी’ की चौंकानेवाली ‘महापराजय और ‘महायुति’ की ‘महाविजय’ को न तो भाजपा ने लोकतंत्र की जीत बताया...
लोक का संगठन और दलों के पीछे संगठित लोक ही लोकतंत्र...
— विजय प्रताप —
(दूसरी किस्त)
अखबारों में कभी-कभी संपूर्ण क्रांति मंच की खबरें छपती थीं। एक दिन कुलश्रेष्ठ के कस्बे में मंच के युवा नेता...
यह जनतंत्र है या अपराधियों का अभयारण्य
— शशि शेखर प्रसाद सिंह —
कल 15 अगस्त को भारत ने अपनी ऐतिहासिक स्वतंत्रता का 75वां गौरवशाली दिवस मनाया। विश्व के क्रियाशील लोकतांत्रिक देशों में भारत...
आर्थिक सुधार के तीस साल : कौन हुआ मालामाल कौन हुआ...
— अरुण कुमार त्रिपाठी —
आर्थिक सुधार को समझने के दो नजरिए हैं। पहला नजरिया यह है कि 1991 के आर्थिक सुधारों से पहले देश...
छियालीस साल पहले का अनुभव और आज का अघोषित आपातकाल
— डॉ सुरेश खैरनार —
छियालिस साल पहले 26 जून को एक घोषित आपातकाल लगा था। लेकिन पिछले सात साल से भी ज्यादा समय से अघोषित आपातकाल बदस्तूर...
जन प्रतिरोध ही जनतंत्र की जान है
— शशि शेखर प्रसाद सिंह —
कौमें पांच साल इंतजार नहीं करती। वे किसी भी सरकार के गलत कदम का फौरन विरोध करती हैं - डॉ राममनोहर लोहिया के...
विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- संजय पारीख -
विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मानव अधिकारों में सर्वाधिक बुनियादी तथा मूल्यवान है। अकेले इसके होने से अन्य सभी अधिकार अर्थपूर्ण...