Tag: globalisation
‘ऐसा सवेरा आएगा जब पूंजी का वर्चस्व रंगत खो देगा’
भूमंडलीकरण के विविध पहलुओं पर लेखक राजकुमार राकेश से शशांक कुमार की बातचीत
साहित्यकार राजकुमार राकेश समकालीन हिंदी कथाकारों की सूची में अपने विपुल आलोचनात्मक लेखन...
उत्तर-आधुनिकता के अंतर्विरोध
— राजाराम भादू —
उत्तर-आधुनिकता को लेकर भारत में और विशेष रूप से हिंदी-क्षेत्र में बहुत भ्रम और आकर्षण है। सामान्यतः हमारे पास इसको लेकर...
आर्थिक सुधार के तीस साल : कौन हुआ मालामाल कौन हुआ...
— अरुण कुमार त्रिपाठी —
आर्थिक सुधार को समझने के दो नजरिए हैं। पहला नजरिया यह है कि 1991 के आर्थिक सुधारों से पहले देश...
सोवियत संघ का वैचारिक भटकाव ही उसके बिखराव का सबब बना
— सत्येन्द्र रंजन —
(कल प्रकाशित लेख का बाकी हिस्सा)
लेकिन इस बात को दोहराने की जरूरत है कि सोवियत संघ का विघटन और सोवियत व्यवस्था का...