Tag: Hindi Poet Dhruv Shukla
लंगड़े ‘आम’ की राजनीति
— ध्रुव शुक्ल —
सुना है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता दीदी प्रधानमंत्री जी को हर साल पके हुए ताजे आम भेजती हैं। आम का...
संयम से हीन बाबाओं के देश में
— ध्रुव शुक्ल —
मुझे बचपन से ही ऐसा संस्कार मिला कि अब तक अपने लिए केवल दो बाबाओं को ही चुन पाया हूॅं---तुलसी बाबा...
कवि-नागरिक का राष्ट्र को संबोधन
— ध्रुव शुक्ल —
ओ मेरे भारत के जन
(रवीन्द्रनाथ ठाकुर को याद करते हुए)
भटक गये हैं देश के बादल
सूख रहा है देश का जल
बांझ हो...
ध्रुव शुक्ल की दस कविताऍं
1. कांपती धरती पर
कांप रही है धरती
सब अपने होने का सबूत दे सकें
सड़क पर और संसद में भी
दूसरी कोई धरती नहीं
यह भी प्रमाणित कर...