गीत दृष्टि जा पाए जहाँ तक सामने हो भूमि ऐसी सिर्फ बालू, धूल जिसमें दूर-दूर बबूल शूलमय दो-चार दीखें। परम विरही के नयन-सी शुष्कता, हृदय जैसी शून्यता निबिड़; चारों …
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हमें नहीं चाहिए आप रहे कोरा शरीर के बसन रँगावे। घर तज कर के घरबारी से भी बढ़ जावे। इस प्रकार का नहीं चाहिए हम को साधू। मन तो …
मार्ग बहुत सुंदर है। गाड़ियां, घोड़े, पदातिक सभी के उपयुक्त। सुना है उसको पकड़कर चल सके कोई, पहुंचता लक्ष्य तक निर्भ्रान्त। जानता हूँ, मानता हूँ …
आत्मकथ्य मधुप गुन-गुनाकर कह जाता कौन कहानी अपनी यह, मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज घनी। इस गंभीर अनंत-नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास यह लो, करते ही रहते हैं अपने …
एक छोटा-सा अनुरोध आज की शाम जो बाजार जा रहे हैं उनसे मेरा अनुरोध है एक छोटा-सा अनुरोध क्यों न ऐसा हो कि आज शाम हम अपने थैले और …
सत्य की हत्या आज सत्य असह्य इतना हो गया है कान में सीसा गला ढलवा सकेंगे, सत्य सुनने को नहीं तैयार होंगे; आँख पर पट्टी बँधा लेंगे, निकलवा भी सकेंगे, …
लीक पर वे चलें लीक पर वे चलें जिनके चरण दुर्बल और हारे हैं, हमें तो जो हमारी यात्रा से बने ऐसे अनिर्मित पन्थ प्यारे हैं। साक्षी हों …
यह धरती कितना देती है मैंने छुटपन में छिपकर पैसे बोये थे, सोचा था, पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे, रुपयों की कलदार मधुर फसलें खनकेंगी और फूल-फूलकर मैं मोटा सेठ …
1 नये सवाल मिले जब-जब उत्तर चाहा, तब-तब नये सवाल मिले। रोटी-पानी, खेती-बारी, इनके लिए ही मारा-मारी। जानबूझकर जूझ रहे हैं, जाने कैसी है दुश्वारी। एक यही सपना था, सबको …
रोशनी के शब्द सिर उठाती है सलाखों की जकड़बंदी से मेरी चेतना फिर सिर उठाती है। खुल रहा आकाश दिखलाई पड़ा है, रोशनी के शब्द मुझ तक …
वेब पोर्टल समता मार्ग एक पत्रकारीय उद्यम जरूर है, पर प्रचलित या पेशेवर अर्थ में नहीं। यह राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह का प्रयास है।
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