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मानवाधिकार आयोग के विकेंद्रीकरण की अनिवार्यता
— नन्दकिशोर आचार्य —
किसी भी व्यक्ति या समाज के सुसंस्कृत माने जाने की एक अनिवार्य परिणति यह है कि उसमें मानवाधिकारों के प्रति गहरे...
असम पुलिस फायरिंग : अवैध और अक्षम्य
कानून शायद ही कभी पुलिस को मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए जवाबदेह ठहराता है, लेकिन बल का अत्यधिक उपयोग अभियोजन के लिए दरवाजा खुला...
क्या मैं अर्बन नक्सल हूँ ? – प्रभाकर सिन्हा
सन 1981 से 1991 तक मैं बिहार में तथा 1988 से 2016 तक राष्ट्रीय स्तर पर पीयूसीएल का पदाधिकारी रहा हूँ। वास्तव में मैं...
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर छापे, एनएपीएम ने निंदा की
2 अप्रैल। गौरीलंकेश न्यूज डॉट कॉम के मुताबिक जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मनावधिकार कार्यकर्ताओं और जनसंगठनों...