Tag: Idealogy of Freedom Movement
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 11वीं किस्त
अंग्रेज और सैन्य प्रबंध
प्लासी की लड़ाई के बाद अंग्रेजों का राज सारे हिंदुस्तान में फैल गया। अंतिम स्वतंत्र राज्य सिख राज्य था जिसकी भी...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : दसवीं किस्त
जब अंग्रेजी हुकूमत में यह हालत थी तो उसके पूर्व क्या होता होगा?पेशवाओं का राज विशुद्ध ब्राह्मणी राज बन गया था। समानता नाम की...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : नौवीं किस्त
परंपरागत हिंदू कानून के अनुसार अगड़ी यानी उच्च जातियों में विधवाओं के पुनर्विवाह का निषेध था। कतिपय आधुनिक विद्वान पुनर्विवाह के पक्ष में कुछ...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : आठवीं किस्त
न्याय प्रणाली में परिवर्तन
सन 1857 के विद्रोह के बाद भारत में अंग्रेजों की हुकूमत सीधे इंग्लैण्ड की सरकार के हाथ में चली गयी। कुछ...
स्वतंत्रता की विचारधारा – मधु लिमये : सातवीं किस्त
अंग्रेजी हुकूमत की स्थापना के बाद बंगाल की जो हालत हुई उसके बारे में बेचर नाम के कलकत्ता कौंसिल के एक सदस्य ने 1769...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : छठी किस्त
दक्षिण में पांडिचेरी फ्रांसीसियों का व्यापारिक केंद्र बन गया था। उसके उत्तर में मद्रास अंग्रेजों का। जब यूरोप में फ्रांस और ब्रिटेन के बीच...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : पाँचवीं किस्त
लेकिन उन दिनों हमारे देश में क्या हो रहा था? यह विडंबना की ही बात है कि उन दिनों हमारे देश में केवल पुराने...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : चौथी किस्त
उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में अंग्रेज अफसरों द्वारा उत्तरी भारत का जो आर्थिक सर्वेक्षण किया गया था उसका जिक्र रमेश दत्त ने अपनी किताब...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : दूसरी किस्त
पश्चिम के साम्राज्यवाद के बारे में कुछ भ्रांतियाँ हमारे देश में कुछ विचारकों द्वारा फैलाई जा रही हैं। जैसे हमारे देश में जो मार्क्सवादी...