— प्रभात कुमार — भारत आज भी गरीबों, मजलूमों और मजदूरों का विशुद्ध देश है। कम से कम इस देश की 50 फीसद आबादी आजादी के 77 साल बाद भी …
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(डॉ लोहिया का यह लेख 1966 का है। कुछ महीने पहले सेतु प्रकाशन से अरविन्द मोहन के संपादन में लोहिया के चिंतन का एक चयन प्रकाशित हुआ है। लोहिया का …
— डॉ. लखन चौधरी — भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है, लेकिन बेरोजगारी दर पिछले 45-50 साल के चरम पर है। विकास दर के मामले …
— हर्ष मंदर — भारत एक घोर विषमता वाला देश है। महामारी के वर्षों में यह साफ दीख पड़ा कि यह विषमता भारत के करोड़ों वंचितों पर किस तरह कहर …
— राम जन्म पाठक— इस समय जब मैं यह टीप लिख रहा हूं, तब भारत के 74वें गणतंत्र की पूर्वसंध्या नहीं, उत्तर संध्या है। भारत की राष्ट्रपति अपनी मधुर वाणी …
— राम जन्म पाठक — अक्सर रात के तीन-चार बजे नींद उचट जाती है। ‘कुरआन’ में नींद को छोटी मौत कहा गया है। तो क्या मैं छोटी मौत से बाहर …
— योगेन्द्र यादव — भारत जोड़ो यात्रा से और कुछ हासिल हो या न हो, कम से कम अमीर और गरीब के बीच बढ़ती हुई खाई का सवाल देश के …
— रमाशंकर सिंह — विदेशमंत्री जयशंकर का यह ताजा बयान कि भारत प्रति व्यक्ति 2000 डॉलर (160000 रु. आय प्रतिवर्ष यानी करीब 13333 रु प्रतिमाह यानी 438 रु रोज) की …
22 सितंबर। कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन की वजह से करोड़ों लोगों की नौकरी चली गई। इससे देश में आर्थिक असमानता बढ़ गई। रेटिंग एजेंसी क्रेडिट सुईस ने मंगलवार …
— जयराम शुक्ल — लोकभाषा के बडे़ कवि कालिका त्रिपाठी ने कभी रिमही में एक लघुकथा सुनाई थी। कथा कुछ ऐसी थी कि..दशहरे के दिन ननद और भौजाई एक खेत …
वेब पोर्टल समता मार्ग एक पत्रकारीय उद्यम जरूर है, पर प्रचलित या पेशेवर अर्थ में नहीं। यह राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह का प्रयास है।
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