Tag: Kishen Pattanayak
किशन पटनायक की कविता
मृत्यु वंदना
हे मृत्यु! मेरे परम देव
जीवन के चरम साथी
तुम्हारे इशारे, पथ पर या विपथ पर
चलता हूं दिन रात
पहचाना है इस भंगुर जीवन में
प्रियों में...
अंतिम दिनों जयप्रकाश जी बहुत निराश थे – शिवानंद तिवारी
जयप्रकाश जी की मृत्यु के तीन या चार दिन पहले उनसे मिला था। ऊपरवाले बरामदे में गंगा बाबू यानी गंगाशरण सिंह जी या किशोरी...
मुख्यधारा को मोड़नेवाला कर्मयोगी : तीसरी किस्त
— सुनील —
अस्सी के दशक के शुरू में सच्चिदानंद सिन्हा ने ‘आन्तरिक उपनिवेश’ की अवधारणा पर एक लंबा परचा लिखा। देश के विभिन्न आंदोलनों...
मुख्यधारा को मोड़नेवाला कर्मयोगी : पहली किस्त
— सुनील —
किशन पटनायक को राजनीति और मीडिया की मुख्य धारा में स्थान क्यों नहीं मिला? साथी जोशी जेकब ने मुझसे यह सवाल पूछा और...