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धर्म पर कुछ विचार : छठी व अंतिम किस्त

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— राममनोहर लोहिया — जाति प्रथा ने कमाल किया है इसमें कोई शक नहीं। कमाल अच्छा नहीं, बुरा कमाल। देश के प्राण को एक मानी...

धर्म पर कुछ विचार : पाँचवीं किस्त

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— राममनोहर लोहिया — हिंदुस्तान क्यों इतनी बार गुलाम हो जाता है? क्यों इतने लंबे अरसे तक गुलाम हो जाता है? कहीं कोई खराबी है...

धर्म पर कुछ विचार : चौथी किस्त

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— राममनोहर लोहिया — कभी-कभी ब्रह्मज्ञान कठोर भी बन जाता है। बजाय संगीत की मधुरता लाने के वह दूसरे संप्रदायों और धर्मों के प्रति अत्याचार...

धर्म पर कुछ विचार : तीसरी किस्त

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— राममनोहर लोहिया — अब रह गया दूसरा अंग जो ब्रह्मज्ञान वाला, कर्मकाण्ड के अलावा। आत्मा, परमात्मा पर मैं क्या कहूँ, क्योंकि परमात्मा को तो...

धर्म पर कुछ विचार – दूसरी किस्त

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— राममनोहर लोहिया — इतना बताने के बाद, मुझे आत्मा, परमात्मा या वैदिक धर्म, हिंदू धर्म पर, इन सब चीजों से जिसका वास्ता नहीं है...

धर्म पर कुछ विचार : पहली किस्त

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— राममनोहर लोहिया — धर्म या और किसी सत्य के मामले में किसी एक कोने या दृष्टि से ही बातें समझ में आती हैं। जैसे...

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