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Tag: Modern Hindi Poetry

भारत यायावर की कविता

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आदमी कहाँ-कहाँ पीड़ित नहीं है   यह बार-बार, हर बार, हर बात क्यों टिक जाती है सिर्फ रोटी पर? या बार-बार, हर बार, हर रोटी फैलकर क्यों हो जाती है एक...

उमाकांत मालवीय की कविता

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कोई चाहे जितना बड़ा हो, उसका अनुकरण उसका अनुसरण तुम्हारी गैरत को गवारा नहीं, तुम्हारा अनुकरण तुम्हारा अनुसरण कोई करे ऐसी हविस भी नहीं।   अनुकरण अनुसरण की बैसाखियाँ तुम्हें मंजूर नहीं इसलिए, जब तुम्हें मिले...

ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता

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  रौशनी के उस पार   रौशनी के उस पार खुली चौड़ी सड़क से दूर शहर के किनारे गन्दे नाले के पास जहाँ हवा बोझिल है और मकान छोटे हैं परस्पर सटे हुए पतली वक्र-रेखाओं-सी...

श्रीकांत वर्मा की कविता

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हस्तिनापुर का रिवाज मैं फिर कहता हूँ धर्म नहीं रहेगा, तो कुछ नहीं रहेगा - मगर मेरी कोई नहीं सुनता! हस्तिनापुर में सुनने का रिवाज नहीं - जो सुनते हैं बहरे...

विजयदेव नारायण साही की कविता

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प्रार्थना : गुरु कबीरदास के लिए परम गुरु दो तो ऐसी विनम्रता दो कि अंतहीन सहानुभूति की वाणी बोल सकूँ और यह अंतहीन सहानुभूति पाखंड न लगे।   दो तो ऐसा कलेजा दो कि...

धूमिल की कविता

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हर तरफ धुआं है   हर तरफ धुआं है हर तरफ कुहासा है जो दांतों और दलदलों का दलाल है वही देशभक्त है   अंधकार में सुरक्षित होने का नाम है- तटस्थता। यहां...

विष्णु खरे की कविता

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यथार्थ   किसने देखा था पहले-पहल मृग को मरीचिका के पीछे दौड़ते हुए कहां होते हैं वैसे मृग अब मरीचिकाएं लहराती झिलमिलाती हैं अब किधर किन्तु कहावत बन गयी मृग-मरीचिका...

ठाकुर प्रसाद सिंह की कविता

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चिड़ियाघर   चिड़ियाघर देखकर लौट जाना आनंददायक हो सकता है। पर वहां रहने के लिए जाना – क्या बताऊं, कैसा लगता है?   पहले मैं अकसर वहां जाता था वहां मैं शेरों...

मुक्तिबोध की कविता

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मुझे कदम-कदम पर   मुझे कदम-कदम पर चौराहे मिलते हैं बाँहें फैलाये!!   एक पैर रखता हूं कि सौ राहें फूटतीं, व मैं उन सब पर से गुजरना चाहता हूं; बहुत अच्छे लगते...

अज्ञेय की कविता

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उड़ चल, हारिल   उड़ चल, हारिल, लिये हाथ में यही अकेला ओछा तिनका। ऊषा जाग उठी प्राची में – कैसी बाट, भरोसा किनका!   शक्ति रहे तेरे हाथों...

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