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कुंवर नारायण की कविता

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अंतिम ऊंचाई   कितना स्पष्ट होता आगे बढ़ते जाने का मतलब अगर दसों दिशाएं हमारे सामने होतीं, हमारे चारों ओर नहीं। कितना आसान होता चलते चले जाना यदि केवल हम...

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