Tag: Muktibodh
यादों में ज़िन्दगी, मुक्तिबोध से मुक्ति नहीं
— श्री कनक तिवारी —
दिग्विजय काॅलेज की बहुत सी यादें हैं। वे लेकिन उलझती रहती हैं। गड्डमगड्ड होती रही हैं। एक दूसरे पर चढ़ी...
‘मर गया देश अरे जीवित रह गये तुम’
— शैलेन्द्र चौहान —
मुक्तिबोध एक समाज चेता रचनाकार हैं। वे अँधेरों से मुँह नहीं फेरते बल्कि अँधेरे की ओर उँगली उठाने का साहस रखते...
मुक्तिबोध की कविता
मुझे कदम-कदम पर
मुझे कदम-कदम पर
चौराहे मिलते हैं
बाँहें फैलाये!!
एक पैर रखता हूं
कि सौ राहें फूटतीं,
व मैं उन सब पर से गुजरना चाहता हूं;
बहुत अच्छे लगते...