(मूर्धन्य समाजवादी चिंतक सच्चिदानन्द सिन्हा ने उपभोक्तावादी संस्कृति के बारे में आगाह करने के मकसद से एक पुस्तिका काफी पहले लिखी थी। इस पुस्तिका का पहला संस्करण 1985 में छपा …
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(मूर्धन्य समाजवादी चिंतक सच्चिदानन्द सिन्हा ने उपभोक्तावादी संस्कृति के बारे में आगाह करने के मकसद से एक पुस्तिका काफी पहले लिखी थी। इस पुस्तिका का पहला संस्करण 1985 में छपा …
(मूर्धन्य समाजवादी चिंतक सच्चिदानन्द सिन्हा ने उपभोक्तावादी संस्कृति के बारे में आगाह करने के मकसद से एक पुस्तिका काफी पहले लिखी थी। इस पुस्तिका का पहला संस्करण 1985 में छपा …
— प्रेम सिंह — आधुनिक सभ्यता के गंभीर अध्येता समीक्षक, समाजवादी चिंतक, संस्कृति-कला मर्मज्ञ सच्चिदानन्द सिन्हा का समग्र लेखन सच्चिदानन्द सिन्हा रचनावली के रूप में प्रकाशित हुआ है। आठ खंडों …
क्या आपने सच्चिदानंद सिन्हा जी का नाम सुना है? मैं दावे से कह सकता हूँ कि आपने नहीं सुना होगा। और, जो सुन रखा होगा तो वे कोई और सच्चिदानंद …
— सच्चिदानन्द सिन्हा — किसी भी कला का दो उद्देश्य होता है : अभिव्यक्ति और भाव-संचार। और कोई कलाकार अपनी बात बताये, व्यक्त करे इससे पहले उसे उन चीजों को …
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