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हरियाणा और उप्र की सरकारें आंदोलन को बदनाम करने से बाज आएं- किसान मोर्चा

by Rajendra Rajan
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1 जुलाई। पंजाब के 32 किसान संगठनों ने आज सिंघू बॉर्डर पर एक बैठक की। यह निर्णय लिया गया कि पंजाब सरकार खेतों में कम से कम आठ घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करे। यूनियनों ने 5 जुलाई की समय सीमा के साथ एक अल्टीमेटम जारी किया है कि  पंजाब सरकार को अनियमित बिजली आपूर्ति की समस्या के साथ पंजाब के किसानों की अन्य मौजूदा समस्याओं का समाधान करना चाहिए। किसानों की धान की फसल सूख रही है, वहीं किसान महंगी डीजल जलाकर अपनी फसल बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

डीजल की कीमत अत्यधिक बढ़ गई हैं और अब भी बढ़ती जा रही है। सरकार न तो डीजल की कीमत में कमी  करके किसानों को राहत दे रही है, न ही किसानों की उपज के एमएसपी की गारंटी दे रही है। वहीं दूसरी तरफ लगातार बिजली कटौती से किसानों को भारी नुकसान होगा। पंजाब यूनियनों ने अब 5 जुलाई तक का अल्टीमेटम दिया है। तब तक हालात नहीं सुधरे तो 6 जुलाई को पटियाला में सीएम के मोती महल का घेराव किया जाएगा।

संयुक्त किसान मोर्चा की मांग है कि उत्तर प्रदेश पुलिस गाजीपुर सीमा पर कल की घटनाओं के बारे में विरोध कर रहे किसानों द्वारा दर्ज शिकायत दर्ज करे। यह वास्तव में उत्तर प्रदेश भाजपा सरकार और उसकी पुलिस की सक्रिय मिलीभगत से हुआ कि भाजपा-आरएसएस के गुंडे गाजीपुर में विरोध स्थल के पास अपने भड़काऊ कार्यक्रम का आयोजन करने पहुंच गए, जहां किसान दिसंबर 2020 से तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।

यह आन्दोलन को गंदी चालों का इस्तेमाल करके बदनाम करने की एक सुनियोजित साजिश है,जिसके लिए बीजेपी-आरएसएस जाने जाते हैं। भाजपा के गुंडों की शिकायत जहां पुलिस ने दर्ज कर ली है, वहीं किसानों की शिकायत दर्ज नहीं की गई है। एसकेएम की शिकायत दर्ज कराने की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश के कई थानों पर विरोध प्रदर्शन किया गया है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि किसान आंदोलन के बारे में हरियाणा के मुख्यमंत्री के बयान बेहद आपत्तिजनक हैं और मोर्चा इसकी निंदा करता है। इस आंदोलन की शुरुआत से ही, विभिन्न राज्यों के प्रदर्शनकारियों के दिल्ली पहुंचने से पहले से ही, खट्टर सरकार किसानों के खिलाफ रही है, उसने किसानों को और उनके अधिकारों का सम्मान करने के बजाय कई तरह से अपमानित किया है, और किसी भी तरह से विरोध को समाप्त करने की कोशिश करती रही है।

गोगोई की रिहाई का स्वागत

असम विधान सभा के सदस्य अखिल गोगोई को आज एक विशेष एनआईए अदालत ने तीन अन्य लोगों के साथ सभी आरोपों से बरी कर दिया है। उन्हें यूएपीए और विभिन्न आईपीसी धाराओं के तहत दर्ज सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया। विशेष अदालत ने देशद्रोह सहित एनआईए के सभी आरोपों को खारिज कर दिया और गोगोई की रिहाई का आदेश जारी किया।

कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के लोकप्रिय किसान नेता अखिल गोगोई ने किसान सहकारी समितियों की स्थापना की, जो शहरी उपभोक्ताओं से सीधे जुड़े हुए हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसानों को उचित मूल्य मिले, और वे बड़े निगमों के चंगुल में न फंसें। वह हाल ही में जेल से चुनाव लड़कर विधायक बने हैं। ये मामले स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि कैसे भाजपा सरकार किसान नेताओं और अन्य लोगों को झूठे मामलों में फंसाकर परेशान करने के लिए कठोर कानूनों का दुरुपयोग कर रही है। एसकेएम ने लंबे समय बाद गोगोई के जेल से रिहा होने और सभी आरोपों से बरी होने का स्वागत किया है।

महाराष्ट्र सरकार की आलोचना

केंद्रीय कानूनों में संशोधन के महाराष्ट्र सरकार के निरर्थक और अर्थहीन प्रयास की किसान संगठनों ने कड़ी आलोचना की है। खबरों से संकेत मिलता है कि राज्य सरकार केंद्रीय कानूनों में कुछ संशोधन लाने की कोशिश कर रही है, वह भी तब जब भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने जनवरी 2021 से इन कानूनों का क्रियान्वयन निलंबित कर रखा है! राज्य के किसान संगठनों ने पहले ही मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के साथ बैठक कर यह मांग की है कि राज्य सरकार तीन केंद्रीय काले कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी गारंटी कानून की खातिर किसान आंदोलन का समर्थन करे। उन्होंने यह भी मांग की कि 1963 के महाराष्ट्र एपीएमसी अधिनियम में कोई भी संशोधन उचित लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को चलाने के बाद ही किया जाना चाहिए।

इस बीच, भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। पंजाब में किसानों ने कल बठिंडा में भाजपा के राज्यसभा सांसद श्वेत मलिक को काले झंडे दिखाकर बधाई दी।

उत्तर प्रदेश के बरेली में मुरिया मुकर्रमपुर में किसानों ने कई घंटों के घोर विरोध के बाद टूल प्लाजा को मुक्त कराया। इस प्रयास का नेतृत्व उत्तराखंड के तराई किसान संगठन और अन्य यूनियनों ने किया। गाजीपुर बॉर्डर पर जल्द ही बिजनौर से बड़ी संख्या में किसानों के आने की उम्मीद है।

4 जुलाई 2021 को गाजीपुर बॉर्डर पर मिल्खा सिंह की याद में किसान मजदूर मैराथन दौड़ का आयोजन किया जाएगा।

यह किसान आंदोलन एक जन आंदोलन बन चुका है। इसने समाज के कई वर्गों को इसमें भाग लेने के लिए प्रेरित और  मार्गदर्शित किया है। युवाओं और बच्चों में भी इसके प्रति आकर्षण है। चार साल के कप्तान सिंह एक ऐसे प्रतिभागी हैं, जो विरोध प्रदर्शन में अपने पिता लाखा सिंह और मां मंजीत कौर के साथ जाते हैं। उनका परिवार बरनाला के महल कलां गांव से आता है, और वह अपने माता-पिता के साथ दिसंबर 2020 से बरनाला में पक्का मोर्चा में डटे है। कप्तान सिंह ने टिकरी और सिंघू बॉर्डर का हाल ही में दौरा किया है जहाँ उन्होंने किसानों के समर्थन में तथा उनकी हौसला आफजाई वाले गीत गाकर व नारे लगाकर प्रसिद्धि प्राप्त की है ।

–  संयुक्त किसान मोर्चा

9417269294, samyuktkisanmorcha@gmail.com

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