समता मार्ग
नई दिल्ली। मार्च के पहले पखवाड़े में ही चने की फसल में किसान की 140 करोड रुपए की लूट। जय किसान आंदोलन ने शुरू किया दैनिक एमएसपी लूट केलकुलेटर, जिसके जरिए रोज किया जाएगा खुलासा कि किसानों को एमएसपी मिल रही है या नहीं। इस पहल के चलते यह हकीकत सामने आई है कि मार्च महीने के पहले 15 दिन में ही चने की फसल में किसानों को 140 करोड़ रुपए की चपत लगी। सबसे अधिक लूट गुजरात में उजागर हुई है। इस हिसाब से चने की बिक्री पूरी होने तक किसान की 870 करोड रुपए की लूट होने की आशंका है।प्रधानमंत्री ने बार बार कहा है ‘एमएसपी थी, है और रहेगी’। लेकिन रबी फसल कr खरीद के पहले 15 दिनों में ही प्रधानमंत्री के दावे का भंडाफोड़ हो गया है। सरकारी वेबसाइट एगमार्क नेट द्वारा हर मंडी में प्रतिदिन हुई खरीद और उसके मूल्य के आंकड़ों के अनुसार केवल चने की फसल में 1 मार्च से 15 मार्च के बीच किसान को अपनी फसल एमएसपी से नीचे बेचने की वजह से 140 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। इसे किसान की लूट बताते हुए जय किसान आंदोलन के नेता योगेंद्र यादव ने आशंका जताई कि अगर यही बाजार भाव चलता रहा और सरकार ने कोई दखल न दिया तो केवल चने की फसल में इस साल किसान की 870 करोड़ रुपए की लूट होगी।एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका खुलासा करते हुए योगेंद्र यादव ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में औसतन दो करोड़ क्विंटल चना बाजार में आता है। मार्च के पहले पखवाड़े में उसमें से 32 लाख क्विंटल यानी केवल 16 फीसद अभी तक बाजार में आया था। सरकार ने चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी 5100 रुपए निर्धारित किया था। लेकिन देश की सभी मंडियों में किसान को औसतन ₹4663 ही मिल पाए। यानी कि किसान को प्रति क्विंटल सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम से भी कम बेचने के कारण 437 रुपए का घाटा सहना पड़ा। चना उत्पादन वाले मुख्य प्रदेशों में गुजरात के किसान की स्थिति सबसे बुरी थी क्योंकि उसे औसतन केवल 4462 रुपए ही मिल पाए यानी गुजरात के चना उत्पादक किसान को 638 रुपए प्रति क्विंटल की लूट सहनी पड़ी। इन 15 दिनों में गुजरात के चना उत्पादक किसान की कुल 46 रुपए करोड़ की लूट हुई जबकि महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के किसान की 38 करोड़ और 35 रुपए करोड़ की लूट हुई। उन्होंने बताया कि यह लूट कोई नई बात नहीं है। चने की फसल में पिछले वर्ष 2020-21 में किसानों की 884 करोड़ की लूट हुई थी चूंकि उन्हें औसतन एमएसपी से 800 रुपए कम दाम मिला था। उससे पिछले वर्ष 2019-20 में किसानों की 957 करोड़ रुपए की लूट हुई थी।एमएसपी कैलकुलेटर के जरिए गेहूं की खरीद में भी चौंकाने वाली लूट का खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक 1 से 20 मार्च की अवधि में गेहूं की फसल में किसान को 205 करोड़ का नुकसान हुआ। किसान का 87.5 फीसद गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे बिका। यही बाजार भाव चलता रहा तो इस सीजन में केवल गेहूं की फसल में किसान की 4950 करोड़ रुपए की भीषण लूट होगी। सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी 1975 रुपए निर्धारित किया था। लेकिन देश की सभी मंडियों में किसान को औसतन 1703 रुपए ही मिल पाए। यानी कि किसान को प्रति क्विंटल सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम से भी कम बेचने के कारण 272 रुपए का घाटा सहना पड़ा। इस पर योगेन्द्र यादव ने कहा है कि गेहूं में भी किसान की 250 रुपए से 300 रुपए प्रति क्विंटल की लूट हो रही है तो एमएसपी किसान के साथ एक क्रूर मजाक है।
1 मार्च से 20 मार्च के बीच किसान को गेहूं एमएसपी से नीचे बेचने की वजह से सीजन की शुरुआत में ही 205 करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है। यही बाजार भाव चलता रहा तो इस सीजन में केवल गेहूं की फसल में किसान की 4950 करोड़ रुपए की भीषण लूट होने का अनुमान है। हालांकि हरियाणा और पंजाब में और खरीद होने पर इस स्थिति में कुछ सुधार की गुंजाइश है परन्तु वह नाकाफ़ी होगा।रबी के इस सीजन में 1 से 20 मार्च के आंकड़ों के अनुसार किसान का 87.5 फ़ीसदी गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे बिका। आमतौर पर माना जाता है कि कम से कम गेहूं की फसल में तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल जाता है। अगर सीज़न की शुरुआत में ही गेहूं में भी किसान की 250 रुपए से 300 रुपए प्रति क्विंटल की लूट हो रही है तो एमएसपी किसान के साथ एक क्रूर मजाक है। फसल : मक्का अवधि : 1 से 15 मार्च 2021सरकार ने मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी 1850 रुपए निर्धारित किया था। लेकिन देश की सभी मंडियों में किसान को औसतन 1465 रुपए ही मिल पाए। यानी कि किसान को प्रति क्विंटल सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम से भी कम बेचने के कारण 385 रुपए प्रति क्विन्टल का घाटा सहना पड़ा।1 मार्च से 15 मार्च के बीच किसान को मक्का एमएसपी से नीचे बेचने की वजह से 71 करोड रुपए का घाटा हुआ। अगर यही बाजार भाव चलता रहा और सरकार ने कोई दखल न दिया तो केवल मक्के की फसल में इस साल किसान की 498 करोड रुपए की लूट होगी।मक्का उत्पादन वाले मुख्य प्रदेशों में मध्यप्रदेश के किसान की स्थिति सबसे बुरी थी क्योंकि उसे औसतन केवल 1285 रुपए ही मिल पाए यानी मध्यप्रदेश के मक्का उत्पादक किसान को 566 रुपए प्रति क्विंटल की लूट सहनी पड़ी। इन 15 दिनों में मध्य प्रदेश के मक्का उत्पादक किसान की कुल 30 करोड़ रुपए की लूट हुई जबकि तेलंगना और राजस्थान के किसान की 8 करोड़ और 10 करोड़ रुपए की लूट हुई।
फसल : बाजरा अवधि : 1 से 20 मार्च 2021 बाजरे की फसल में किसानो के साथ पिछले 20 दिन में 40 करोड़ की लूट। खरीफ़ के सीजन में अब तक बाजरे की फसल में देश के किसान की 529 करोड़ रूपये की लूट हो चुकी है। सबसे ज्यादा नुकसान राजस्थान के किसानो को, 19 करोड़ का नुकसान पिछले 20 दिन में।सरकार ने बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी 2150 रुपए निर्धारित किया था। लेकिन देश के सभी मंडियों में किसान को औसतन 1236 रुपए ही मिल पाए। यानी कि किसान को प्रति क्विंटल सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम से भी कम बेचने के कारण 914 रुपए का घाटा सहना पड़ा। 1 मार्च से 20 मार्च के बीच किसान को बाजरा एमएसपी से नीचे बेचने की वजह से 40 करोड रुपए का घाटा हुआ। इस साल खरीफ की फसल में बाजरे पर किसान के साथ अब तक 529 करोड रुपए की लूट हो गई है।बाजरा उत्पादन वाले मुख्य प्रदेशों में राजस्थान के किसान की स्थिति सबसे बुरी थी क्योंकि उसे औसतन केवल 1186 रुपए ही मिल पाए यानी राजस्थान के बाजरा उत्पादक किसान को 964 रुपए प्रति क्विंटल की लूट सहनी पड़ी। इन 20 दिनों में राजस्थान के बाजरा उत्पादक किसान की कुल 40 रुपए करोड़ की लूट हुई जबकि उत्तर प्रदेश और गुजरात के किसान की 10 करोड़ रु. और 3 करोड़ रु. की लूट हुई।जय किसान आंदोलन के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा है कि यदि प्रधानमंत्री मोदी या भाजपा के प्रवक्ता ताल ठोंक कर कहते हुए मिलें कि ‘एमएसपी थी, है और रहेगी’, तो उसका अर्थ समझ जाइए : एमएसपी जैसी थी, वैसी ही है और ऐसी ही रहेगी। कागज पर थी, कागज पर ही है और कागज पर ही रहेगी।जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अवीक साहा ने ‘एमएसपी लूट केलकुलेटर’ का आंकड़ा जारी करते हुए बताया कि इसमें इस्तेमाल किए जा रहे आंकड़े सरकार की अपनी वेबसाइट एगमार्क नेट से लिये गए हैं। इसका उद्देश्य सरकार के इस झूठे प्रचार का भंडाफोड़ करना है कि सरकार द्वारा घोषित एमएसपी किसान को प्राप्त हो रहा है।जय किसान आंदोलन हरियाणा के महासचिव दीपक लांबा ने बताया कि पिछले चार सालों की तरह इस साल भी उनका संगठन हरियाणा की मंडियों में घूम कर इसकी जांच करेगा कि किसान को फसल का ठीक मूल्य मिल रहा है या नहीं। जय किसान आंदोलन के नेता और संयुक्त किसान मोर्चा के मीडिया कोऑर्डिनेटर परमजीत सिंह ने बताया कि यह कैलकुलेटर संयुक्त किसान मोर्चा के एमएसपी दिलाओ अभियान को मजबूत करेगा।एमएसपी लूट केलकुलेटर की सूचना प्रतिदिन जय किसान आंदोलन और योगेंद्र यादव के फेसबुक पेज और टि्वटर अकाउंट पर देखी जा सकती है। इसे सोशल मीडिया और मीडिया के जरिए देशभर में प्रसारित किया जाएगा।