दांडी से मिट्टी सत्याग्रह यात्रा शुरू

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नई दिल्ली, 30 मार्च। किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य तथा जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के राष्ट्रीय संयोजक मंडल के सदस्य, डॉ सुनीलम की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक देशभर में 123 दिन से चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में गांधीजी द्वारा 91 वर्ष पहले आजादी के आंदोलन के दौरान की गई दांडी यात्रा की स्मृति में विभिन्न राज्यों में मिट्टी सत्याग्रह यात्रा, जो 12 मार्च से विकेन्द्रित रूप से चल रही है, उसका नया चरण आरंभ हो गया। यात्रा का मकसद गांव गांव तक 3 किसान विरोधी कानूनों की असलियत बताने तथा सभी कृषि उत्पादों की एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी की बाबत  किसानों के बीच जागरूकता फैलाना है। यात्रा का नया चरण 30 मार्च से दांडी से आरंभ हुआ। यह यात्रा 6 अप्रैल तक चलेगी। यात्रा के दौरान अबतक सोलह राज्यों में मिट्टी इकट्ठा की जा चुकी है। इस मिट्टी से दिल्ली बॉर्डर पर शहीद स्मारक बनाए जाएंगे।

मिट्टी सत्याग्रह की मुख्य यात्रा आज दांडी के उसी स्थान से शुरू हुई जहां गांधीजी ने नमक सत्याग्रह किया था। यात्रा में खेडुत समाज के रमेश पटेल, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के कृष्णकांत और प्रसाद बागवे,  अखिल भारतीय किसान सभा के डाया भाई गजेरा, लोक शक्ति अभियान के प्रफुल सामंतरा,  हम भारत के लोग के फिरोज़ मिठीबोरवाला, तुषार भोतमांगे, निश्चय म्हात्रे,  मंगल निकम, लोकायत से  आमिर काज़ी, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन से  लता प्रमिला मधुकर, बहुजन संवाद से सलीम साबूवाला, सर्वेश जी दिल्ली से और गुड्डी युवा बिरादरी से शामिल हुए। यात्रियों को दांडी में किसानों द्वारा सौ गांवों की मिट्टी तथा बारदोली में पचास गाँवों से लाई गई मिट्टी सौंपी गई। उमराची में यात्रा का स्वागत किया गया।

यात्रियों ने बताया कि मोदी सरकार किसानों की मिट्टी (जमीन) छीनकर अडानी-अंबानी को सौंपना चाहती है। इसके खिलाफ यह यात्रा निकाली जा रही है। किसान आंदोलन के दौरान देश की मिट्टी को बचाने के लिए 315 किसान शहीद हुए हैं। उनकी याद में शहीद स्मारक बनाया जाएगा।

यात्रा को उमराची में गुजरात पुलिस ने रोक दिया। इस पर रोष जाहिर करते हुए

यात्रियों ने कहा कि मोदी ने गुजरात को पुलिस स्टेट में तब्दील कर दिया है। लिहाजा किसान आंदोलन लोकतंत्र बचाने की लड़ाई भी लड़ रहा है।

किम के गांधीवादी उत्तम भाई पटेल द्वारा मिट्टी सौंपी गई। यात्रा के भरुच पहुंचने पर खेडुत हित रक्षक दल और माछि मार संगठन द्वारा यात्रियों का स्वागत किया गया और मिट्टी भेंट की गई। यात्रियों ने छोटू भाई पुराणी, डॉ चंदूलाल देसाई और दिनकर राव देसाई के संग गांधीजी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। यात्रियों ने   जिला आणंद के बोरसद कस्बे में विश्राम किया। मंगलवार को यात्रा सरदार पटेल की जन्मस्थली करमसद और साबरमती आश्रम, हिम्मतनगर जाएगी।

30 मार्च से ही दूसरी यात्रा नर्मदा बचाओ आंदोलन और जन आंदोलन का राष्ट्रीय समन्वय की नेता मेधा पाटकर की अगुआई में मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में राजघाट से शुरू की गई। मिट्टी सत्याग्रह यात्रा में शामिल नर्मदा घाटी के किसान, मजदूर, मछुआरों के प्रतिनिधि गांधी समाधि, राजघाट (कुकरा) बड़वानी से रतलाम, मंदसौर होकर राजस्थान के डूंगरपुर जाएंगे,  जहां पर दोनों यात्राएं मिलेंगी तथा दिल्ली बॉर्डर (शाहजहांपुर,टिकरी, गाजीपुर, सिंघू) की ओर बढ़ेंगी।

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