3 मई। चुनाव परिणाम आते ही संयुक्त किसान मोर्चा ने उसे किसान आंदोलन की नैतिक जीत बताया था। एक दिन बाद मोर्चा ने एक और बयान जारी कर कहा है कि केंद्र सरकार के लिए यही अच्छा है कि वह किसानों की मांगें मान ले, वरना आगे आनेवाले चुनावों में भी भाजपा को हराने की अपील की जाएगी।
मोर्चा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि विधानसभा चुनावों में किसानों और मजदूरों के गुस्से के कारण भाजपा की यह हार हुई है। तीन कृषि कानूनों के माध्यम से मंडी व्यवस्था खत्म करना, कॉरपोरेट को स्टॉक हेतु खुली छूट देना, किसानों की जमीनों पर कॉरपोरेट के कब्ज़ा कर लेने की महत्वकांक्षा किसानों को समझ में आ गयी है। किसानों को एमएसपी न मिलने व एमएसपी के नाम पर झूठ फैलाने के कारण किसानों का गुस्सा इन चुनावों में फूटा है। वहीं मजदूर वर्ग ने भी वोट से चोट देते हुए भाजपा को सबक सिखाया है। नए लेबर कोड के माध्यम से सरकार मजदूरों को पूर्ण रूप से गुलाम बनाना चाहती है। 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे काम करने का फैसला मजदूरों को मंजूर नहीं है। इसके अलावा, मजदूरों ने पीडीएस बंद करने के भाजपा सरकार के इरादे के खिलाफ भी वोट दिया है।
बयान में आगे कहा गया है कि भाजपा केवल चुनाव की भाषा समझती है इसलिए किसानों ने भाजपा के खिलाफ चुनाव प्रचार किया। यह देश के लोगों का सयुंक्त किसान मोर्चा में विश्वास और किसानों के प्रति सम्मान का नतीजा है कि भाजपा को विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है। हम भाजपा सरकार को फिर चेतावनी देते हैं कि अगर सरकार हमारी मांगें नहीं मानती तो उत्तर प्रदेश से लेकर देश के किसी भी हिस्से में भाजपा की सरकार नहीं बनने दी जाएगी। देश के किसान-मजदूर व अन्य संघर्षशील लोग अब एकजुट हो चुके हैं।
कल चुनाव परिणाम आने के बाद किसान नेताओं ने देश की जनता का धन्यवाद किया जिन्होंने सयुंक्त किसान मोर्चा के “नो वोट टु बीजेपी” अभियान को सफल बनाया। अब इस ऊर्जा को किसान आंदोलन को मजबूत करने की दिशा में लगाने की जरूरत है। कोरोना महामारी में जरूरी सावधानियां बरतते हुए इस आंदोलन को तेज किया जाएगा। हम देश के किसानों-मजदूरों व अन्य आम तबकों से अपील करते हैं कि वे पहले की तरह किसान आंदोलन के प्रति पूरा सहयोग बनाए रखें।
इस दौरान किसान आंदोलन के नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जब तक किसान आंदोलन जारी है तब तक भाजपा व उसके सहयोगी दलों के नेताओं का सामाजिक बहिष्कार जारी रहेगा। उन्हें किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं आने दिया जाएगा और न ही शादी-ब्याह में बुलाया जाएगा।
सरकारें कोरोना महामारी के खिलाफ तकनीकी व नीतिगत स्तर पर व्यवस्था बनाने के विपरीत लॉकडाउन लगा रही हैं। लॉकडाउन लगाकर जनविरोधी फैसले किये जा रहे हैं। हम राज्य सरकारों व केंद्र सरकार से अनुरोध करते हैं कि वे कोरोना के नाम पर किसानों व अन्य आम नागरिकों को परेशान करना बंद करें। हरियाणा सरकार से विशेष अनुरोध है कि धरने पर आ जा रहे किसानों को न तो परेशान न करें न उन्हें बदनाम करने की कोशिश न करें।