दिल्ली सरकार की योजनाओं का लाभ उठा रहे फर्जी मजदूर, जाँच में हुआ खुलासा

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5 नवम्बर। दिल्ली में निर्माण श्रमिकों को पाँच-पॉंच हजार रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा के बीच श्रम विभाग में दो लाख फर्जी श्रमिकों के पंजीकरण का मामला सामने आया है। दिल्ली सरकार के श्रम विभाग के तहत आने वाले दिल्ली बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन वर्कर्स बोर्ड में कथित अनियमितताओं की प्राथमिक जाँच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दिल्ली में करीब 13 लाख कंस्ट्रक्शन वर्कर्स व अन्य श्रमिक रजिस्टर्ड हैं, जिनमें से करीब 9 लाख के नाम कोरोना महामारी के दौरान 2018 से 2021 के बीच रजिस्टर्ड हुए हैं। इनकी जाँच करने पर करीब 1.11 लाख डुप्लिकेट एंट्रीज मिली हैं।

इसके अलावा करीब 65 हजार मजदूरों के फोन नंबर एक जैसे हैं, जबकि 15 हजार से ज्यादा मजदूरों के एड्रेस एक समान हैं, वहीं 4300 मजदूरों के स्थायी पते एक जैसे हैं। इनमें से ज्यादातर लोग कोविड काल और प्रदूषण की वजह से निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाने के दौरान सरकार की तरफ से दी जाती रही आर्थिक सहायता का लाभ उठाते रहे हैं। श्रमिकों के कल्याण के लिए काम करनेवाली कुछ संस्थाओं के द्वारा बोर्ड में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत की गई थी, जिसकी प्रारंभिक जाँच में ये खुलासे हुए हैं। दिल्ली सरकार का सतर्कता निदेशालय और एंटी करप्शन ब्रांच इस मामले की जाँच कर रहे हैं। आरोप है, कि फर्जी या बोगस तरीके से लाखों नॉन कंस्ट्रक्शन वर्कर्स का रजिस्ट्रेशन कंस्ट्रक्शन वर्क के रूप में किया गया और उनके नाम पर करीब 900 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई। इस संबंध में मई 2018 में ही केस भी दर्ज हो चुका है।

बोर्ड के सदस्यों ने ही शिकायत दर्ज कराई थी। 22 सितंबर को मजदूरों की कुछ संस्थाओं ने एलजी से मिलकर जानकारी दी थी, जिसके बाद एलजी ने चीफ सेक्रेटरी को मामले की जाँच के आदेश दिए थे। शुक्रवार को दिल्ली सरकार ने बयान भी जारी करके कहा, कि अगर किसी ने सरकार की योजना का लाभ उठाने के लिए गलत तरीके अपनाए हैं, तो ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है, कि राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का बहाना बनाकर सभी तरह के निर्माण कार्यों पर पाबन्दी लगा दी गयी है, जिस कारण निर्माण मजदूरों के सामने जीवनयापन और रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। यह पाबंदी उस वक्त लगाई गई है, जब महंगाई अपने चरम पर है, और जीवन की बुनियादी जरूरतों की वस्तुएं गरीब की पहुँच से दूर होती जा रही हैं। ऐसे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने रजिस्टर्ड सभी मजदूरों को 5 हजार रुपये की वन टाइम आर्थिक मदद देने का ऐलान किया था।

(‘वर्कर्स यूनिटी’ से साभार)

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