अखिल गोगोई की जीत से असम में नई बयार

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— सुनीलम —

सम के शिवसागर विधानसभा क्षेत्र से अखिल गोगोई चुनाव जीत गए। गोगोई की जीत विशेष महत्त्व रखती है। उनकी जीत का महत्त्व केवल इसलिए नहीं है कि असम की भाजपा सरकार और कॉरपोरेट की पूरी ताकत लगाने के बावजूद वह चुनाव जीते हैं, यह महत्त्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि वह डेढ़ साल से जेल में बन्द होने और चौतरफा हमले के बाद भी चुनाव जीते हैं।

असम सरकार ने उनपर यूएपीए लगाया है, एनआईए ने राष्ट्रद्रोह के प्रकरण तैयार किये हैं। तमाम मुकदमों में उन्हें हाईकोर्ट से राहत मिल चुकी है लेकिन एनआईए कोर्ट उन्हें जमानत देने को तैयार नहीं है। परंतु शिवसागर की जनता की अदालत में उनकी जीत हो गई है।

अखिल गोगोई की जीत इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि जब दो पार्टियों या मोर्चों के बीच ध्रुवीकरण होता है तब तीसरे का जीतना लगभग असंभव हो जाता है। इसका उदाहरण बंगाल है। दसियों साल तक राज करनेवाली कांग्रेस और चौंतीस साल राज करनेवाले वाम मोर्चे को एक भी सीट नहीं मिली है। केरल में चुनाव एलडीएफ और यूडीएफ के बीच था। वहां आरएसएस और कॉरपोरेट की पूरी ताकत लगाने के बाद भी भाजपा को एक भी सीट नहीं मिल सकी। परंतु असम में ध्रुवीकरण के बावजूद शिवसागर के मतदाताओं ने अखिल को जिताया।

हालांकि चुनाव शुरू होने के पहले असम की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कहा था कि वह अखिल गोगोई की मदद करेगी, उनके लिए सीट छोड़ देगी। परंतु सीट छोड़ना तो दूर, अखिल गोगोई के खिलाफ कांग्रेस ने राहुल गांधी के खासमखास को टिकट देकर मैदान में उतार दिया। मैं असम की राजनीति का जानकार तो नहीं हूं लेकिन इतना जरूर कह सकता हूं कि यदि कांग्रेस पार्टी के गठबंधन ने अखिल गोगोई के लिए सीट छोड़ दी होती, रायजोर दल के साथ गठबंधन कर लिया होता तो संयुक्त मोर्चा गठबंधन सरकार बनाने की स्थिति में पहुंच सकता था। मैं वोट प्रतिशत के आधार पर नहीं व्यापक एकता से बननेवाले माहौल को ध्यान में रखकर यह कह रहा हूँ।

अखिल गोगोई की खासियत है कि वह खुलकर सांप्रदायिक ताकतों का विरोध करते हैं, फिर वे चाहे हिंदू कट्टरपंथी हों या मुस्लिम कट्टरपंथी। यही बात कांग्रेस गठबंधन को पसंद नहीं आई। उन्होंने कहा कि हिन्दू कट्टरपंथियों का विरोध और मुस्लिम कट्टरपंथियों का समर्थन नहीं चलेगा। भारत सरकार ने जब असम में पड़ोसी देशों के हिंदुओं को बसाने के लिए नागरिकता कानून बनाया तब अखिल गोगोई ने सड़क पर उतरकर इसका विरोध किया। अखिल गोगोई ने कहा कि धर्म नागरिकता का आधार नहीं हो सकता।

अखिल गोगोई असम में भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करनेवाले आरटीआई एक्टिविस्ट के तौर पर जाने जाते हैं। उनकी पहचान बड़े बांधों का विरोध करनेवाले, जैव विविधता को बचाने के लिए संघर्ष करनेवाले, जैव विविधता पार्क बनानेवाले कारपोरेट विरोधी नेता की है। जब गुवाहाटी में गरीबों को उजाड़ा गया तब अखिल गोगोई ने जमकर सड़कों पर उसका विरोध किया। मैं अखिल गोगोई के चुनाव क्षेत्र में चुनाव प्रचार करने सात दिन के लिए गया था।

देश में शायद ही ऐसा कोई उम्मीदवार होगा जिसने दस-पंद्रह अलग-अलग वैचारिक मुद्दों पर पर्चे छापे होंगे तथा हर मतदाता के पास उन पर्चों को पहुंचा कर विभिन्न मुद्दों की जानकारी दी होगी। पूरे शिवसागर विधानसभा चुनाव क्षेत्र में सभी बूथों पर 25 साल से कम उम्र के दस से बीस युवक-युवतियां पहुंचे थे। हर बूथ स्तर पर उन्होंने कार्यालय स्थापित किया था जहां वे एक साथ रहते थे। एक दिन में बीस लोग मिलकर 70 घरों में जाकर परंपरागत तरीके से एक बर्तन में पर्चे रखकर सौंफ के साथ मतदाताओं को पर्चे दिया करते थे तथा कम से कम पंद्रह मिनट मतदाता-परिवार के साथ चर्चा किया करते थे।

अखिल गोगोई की जीत में उनकी वृद्ध माताजी और बहनों की बहुत अहम भूमिका है। वे सुबह से शाम तक गाड़ियों के काफिले के साथ पंचायतों में जाती थीं। महिलाएं काफी संख्या में इकट्ठा होकर उनके दर्शन करती थीं। माताजी कहती थीं कि मेरा बेटा आपके मुद्दों को लेकर जेल गया है, आप ही उसको बाहर निकाल सकते हैं। मेरे बेटे को वोट दो! इसका भावनात्मक असर होता था। अखिल गोगोई की टीम के प्रमुख वेदांता जैसे तमाम साथी थे जो दिनभर नुक्कड़ सभाएं किया करते थे।

अखिल गोगोई ने जिस तरह से चुनाव लड़ा वह अनुकरणीय है। यदि अखिल गोगोई जेल से बाहर होते तथा कांग्रेस ने उनके लिए सीट छोड़ी होती तो वे भारी मतों से चुनाव जीतते। कांग्रेस के चुनाव अभियान का सबसे दुखद पहलू यह है कि उन्होंने अखिल गोगोई जैसे सेकुलर व्यक्ति को भाजपा का एजेंट बताने का कुकृत्य किया ताकि मुसलमानों को उनसे अलग किया जा सके। लेकिन कांग्रेस की यह चालाकी काम नहीं आई। शिवसागर कभी सीपीआई का गढ़ हुआ करता था, बाद में कांग्रेस पार्टी का गढ़ बना। अब आनेवाले समय में शिवसागर असम की नई राजनीति का गढ़ बनकर उभरेगा।

अखिल गोगाई के साथ अन्ना आंदोलन की कोर कमेटी में काम करने तथा जनांदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय में राष्ट्रीय संयोजक मंडल के साथ काम करने के अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि एक दिन वह असम के भावी नेतृत्वकर्ता होंगे। अखिल गोगोई की टीम पूरे चुनाव प्रचार में यह कहती रही कि इस बार भाजपा को हॉफ करेंगे और 2026 में साफ करेंगे यानी खुद सरकार बनाएंगे।

संयुक्त संघर्ष मोर्चा के द्वारा भाजपा हराओ अपील का शिवसागर के निर्वाचन क्षेत्र में असर पड़ा। योगेंद्र यादव जी के साथ मैंने अखिल गोगोई से अस्पताल में मिलकर गुवाहाटी में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सभा को संबोधित किया। मेधा पाटकर जी और संदीप पांडेय जी ने शिवसागर में बड़ी चुनावी रैली की, जिसमें उनके साथ बिहार के पूर्व सांसद भी मौजूद रहे।

अखिल गोगोई की जीत से देश के किसान आंदोलन और अन्य जन आंदोलनों को बल मिलेगा। वह जेल में रहने के बावजूद आज भी अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य हैं तथा जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के राष्ट्रीय मंडल के सदस्य हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा अब खुलकर अखिल गोगोई के पक्ष में खड़ा हो गया है। उसने अखिल गोगोई की तत्काल रिहाई की मांग की है। आनेवाले समय में कई राज्यों के मुख्यमंत्री अखिल गोगोई की रिहाई के लिए सक्रिय दिखाई पड़ेंगे।
जेल से रिहा होने के बाद अखिल गोगोई सड़क से विधानसभा तक नई भूमिका में दिखाई देंगे। कांग्रेस के नेतृत्व वाले मोर्चे का बदला हुआ रुख देखना दिलचस्प होगा।

अखिल गोगोई की बहादुरी और जज्बे तथा शिवसागर के मतदाताओं की परिपक्वता और रायजोर दल के प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं को मेरा सलाम!

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