17 मई। भारत में समाजवादी आंदोलन की विधिवत शुरुआत 17 मई 1934 से मानी जाती है, जिस दिन कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना हुई थी। उस ऐतिहासिक घटना को याद करते हुए समाजवादी समागम ने रमाशंकर सिंह की अध्यक्षता में ‘हमारी विरासत : वर्तमान स्वरूप और भविष्य की जरूरतें’ विषय पर अॉनलाइन परिचर्चा आयोजित की। कोरोना के प्रकोप के कारण ऑनलाइन परिचर्चा ही हो सकती थी। इस परिचर्चा में अध्यक्ष रमाशंकर सिंह के अलावा डॉ जी जी पारिख, शशिशेखर सिंह, विजय प्रताप, अजीत झा, मंजू मोहन, अनिल ठाकुर, डॉ लता, गुड्डी, जोशी जेकब, महेंद्र यादव, राजेन्द्र राजन आदि ने अपने विचार रखे।
लगभग सभी वक्ताओं ने इस बात को रेखांकित किया कि यह बहुत ही विकट दौर है जब कारपोरेट के हाथों सब कुछ लुटाया जा रहा है। जनता को बरगलाने के लिए सांप्रदायिकता का खेल खेला जा रहा है और मीडिया पर नकेल कसकर उसका चरम दुरुपयोग किया जा रहा है। नागरिक अधिकारों पर रोज हमले हो रहे हैं। हमारा लोकतंत्र आज गहरे संकट में है। ऐसे समय समाजवादियों को सोचना होगा कि वे क्या कर सकते हैं। वे एक शानदार विरासत के वारिस हैं, पर उतनी ही बड़ी चुनौती उनके सामने दरपेश है। अगर वे अतीत की अपनी भूलों से सबक लें तो आज भी एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। परिचर्चा के अंत में अनिल ठाकुर ने धन्यवाद ज्ञापन किया और कोरोना के कारण मारे गए लोगों के शोक में एक मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।