25 मई। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा देश के हर किसान तक आंदोलन के मुद्दों को पंहुचाने के लिए 21 मई से 26 मई तक फेसबुक लाइव किया जा रहा है।
फेसबुक लाइव के पांचवें दिन मंगलवार को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य डॉ अशोक धावले ने कहा कि हिसार में पुलिस लाठीचार्ज के बाद 350 किसानों पर मुकदमे दर्ज किए गए थे। सरकार ने मुकदमे वापस ले लिये हैं यह किसानों की बड़ी जीत है। किसान आंदोलन को महिला, युवा, दलित सभी का भरपूर सहयोग मिल रहा है। किसान आंदोलन से सरकार की उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीति पर अंकुश लगा है।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य किरण विस्सा ने कहा कि छह माह के आंदोलन के दौरान हम बहुत कुछ हासिल कर चुके हैं। लेकिन हमें और आत्मविश्वास व मजबूती के साथ संघर्ष को आगे बढ़ाना है। किसान आंदोलन देशव्यापी आंदोलन बन चुका है, इसमें सभी तबकों के लोग शामिल हुए हैं।
बिहार से ऑल इंडिया किसान महासभा के सुदामा प्रसाद ने कहा कि देश किसान आंदोलन के माध्यम से एकजुट हुआ है। देश और लोकतंत्र रहेगा तभी खेती बच सकती है इसलिए हमें ‘मोदी सरकार गद्दी छोड़ो’ का नारा देना होगा। उन्होंने सरकार से लॉकडाउन के दौरान खराब हुए फल, सब्जी, दूध के नुकसान पर 5000 रु प्रति एकड़ लॉकडाउन भत्ता दिए जाने की भी मांग की है। उन्होंने एक नारा दिया है ‘देशबेचू आदमखोर, मोदी-शाह गद्दी छोड़’।
ऑल इंडिया खेत मजदूर संगठन की सदस्य श्रीमती नागम्मल ने कहा कि आज मेहनतकश किसानों की उपज की बाजार में खुली लूट हो रही है। हम लॉकडाउन में रहकर भी विरोध कर रहे हैं लेकिन सरकार हमें विभाजित करना चाहती हैं। जिस तरह बॉर्डर पर किसान खड़े हैं उसी तरह देश के कोने-कोने में किसान आंदोलन के साथ खड़े होंगे तब सरकार को झुकना ही पड़ेगा।
हरियाणा से जय किसान आंदोलन के उपाध्यक्ष सुरेंद्र पाल सिंंह ने कहा कि किसान आंदोलन ने सरकार के सांप्रदायिक एजेंडा पर रोक लगाने का काम किया है। किसान आंदोलन ने सरकार के कारपोरेट-परस्त चरित्र को उजागर कर दिया है।
कर्नाटक जन क्रांति के नेता नूर श्रीधर ने कहा कि पूरा देश का भविष्य किसान आंदोलन पर अश्रित हो गया है। हमें 26 मई के बाद किसान आंदोलन कैसे आगे चलाना है इसपर भी विचार करना होगा और एक बड़ा राष्ट्रीय आह्वान करना होगा।
बिहार से एनएपीएम के महेंद्र यादव ने कहा कि देश में नफरत और पाखंड की बुनियाद पर यह सरकार सत्ता में आई है। अब उनकी संवेदनहीनता की पोल खुल रही है। सरकार पाखंड फैलाकर देश को गुमराह कर रही है। उन्होंने बताया कि मधेपुरा जिले के किसानों को मक्का की फसल का उचित दाम नहीं मिलने से दो अरब पचपन करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। किसानों की उपज पर मुनाफाखोर तीन गुना मुनाफा कमाते हैं।
ऑल इंडिया खेत मजदूर संगठन के उपाध्यक्ष डॉ. ए. रंगासामी ने कहा कि सरकार का मकसद किसानों को कारपोरेट का गुलाम बनाना है, हम गुलाम बनने को तैयार नही हैं। इसलिए हम संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि 65 फीसद लोगों को रोजगार देती है। कोरोना काल में खेती के काम से ही लोगों की जान बची है, अडानी-अंबानी के यहाँ काम कर लोग नहीं बचे हैं। कृषि ने ही अर्थव्यवस्था को बचाया है। हमें अपनी समस्याओं का स्थायी हल निकालना चाहिए इसके लिए हमें असंगठित क्षेत्र के लोगों को साथ लेकर चलना होगा।
ऑल इंडिया क्रांतिकारी किसान सभा के सचिव कॉमरेड पूजार ने कहा कि सरकार सबका साथ सबका विकास की बात तो करती है लेकिन काम केवल कॉरपोरेट के लिए करती है। आंदोलन के दौरान पार्टियों का असली चेहरा उजागर हो गया है। हमें तीनों कानूनों की जानकारी सभी किसानों तक पहुंचानी होगी।
ऑल इंडिया किसान महासभा के उपाध्यक्ष जयप्रकाश नारायण ने कहा कि 1857 में हमारे पूर्वजों ने जिस कंपनी राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी वही कंपनी राज मोदी सरकार फिर लाना चाहती है, उसके खिलाफ हमें लड़ना है।एस गणेशन ने कहा कि हमने ट्रेड यूनियनों को साथ जोड़ लिया है। अब साथ मिलकर लड़ेंगे। सरकार मंडियां बंद करके जनता को निजीकरण की ओर ले जा रही है।
कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य,किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने किया। उन्होंने बताया कि कल फेसबुक लाइव को 85,000 से अधिक किसानों ने देखा तथा 900 शेयर हुए। यह फेसबुक लाइव अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और किसान एकता मोर्चा के पेज पर देखा जा सकता है। छठे दिन यानी 26 मई को 11 बजे से 1 बजे तथा 3 बजे से 5 बजे के बीच फेसबुक लाइव फिर किया जाएगा जिसे देश के वरिष्ठ किसान नेतागण संबोधित करेंगे।
– डॉ सुनीलम
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