शोक समाचार : एच.एस. दोरेस्वामी नहीं रहे

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26 मई। कर्नाटक के विख्यात स्वतंत्रता सेनानी एच.एस. दोरेस्वामी का बुधवार को हार्ट अटैक से निधन हो गया। वह 104 साल के थे। हाल में कोविड के संक्रमण की चपेट में वह आए थे, पर इलाज हुआ और कोविड की गिरफ्त से बाहर निकल आए थे। लेकिन हार्ट अटैक ने उन्हें हमसे छीन लिया।

104 साल की लंबी उम्र से जाहिर है कि उन्होंने लंबा जमाना देखा था। आजादी की लड़ाई लड़ी। पर वह उन स्वतंत्रता सेनानियों में नहीं थे जो आजादी मिलने भर से संतुष्ट हो गए हों। आजादी के बाद भी आम लोगों के हक में और सरकारों के गलत फैसलों के खिलाफ वह आवाज उठाते रहे।

लिहाजा स्वाभाविक ही वह कर्नाटक में सिविल सोसाइटी का गौरव थे और राज्य में उन्हें अंतःकरण की आवाज माना जाता था। चाहे कोई भी पार्टी सत्ता में रही हो, उसके निरंकुश व्यवहार करने और जन-विरोधी राह पकड़ने पर उन्होंने उसकी आलोचना करने में कभी संकोच नहीं किया।

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भी यही हुआ। उन्होंने न सिर्फ लगातार इसकी आलोचना की, बल्कि उम्र और सेहत की परवाह न करते हुए सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान धरने पर भी बैठे। भाजपा को यह अच्छा नहीं लगा होगा यह समझा जा सकता है, लेकिन बेहद शर्मनाक बात यह हुई कि भाजपा के कई नेताओं ने दोरेस्वामी को फर्जी स्वतंत्रता सेनानी करार देते हुए उनसे स्वतंत्रता सेनानी होने का प्रमाणपत्र दिखाने को कहा। ‌आजादी के आंदोलन में ‌शामिल न होने के कारण आरएसएस की आलोचना होती रहती है लेकिन आरएसएस से निकले लोग एक स्वतंत्रता सेनानी का सम्मान करने की शालीनता भी नहीं दिखा सकते?

दोरेस्वामी के निधन से मानवाधिकार, समता, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, सौहार्द के लिए काम करने वाले संगठनों और समूहों ने एक मार्गदर्शक हितैषी खो दिया है।


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