1 जून। कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने एक करोड़ लोगों का रोजगार छीन लिया है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के सीईओ महेश व्यास ने यह जानकारी साझा की है।
महेश व्यास ने कहा कि शोध संस्थान के आकलन के अनुसार, बेरोजगारी दर अप्रैल में 8 प्रतिशत तो वहीं मई में 12 प्रतिशत रही। इसका मतलब यह निकलता है कि इस दौरान करीब एक करोड़ लोग बेरोजगार हो गए।
सीएमआईई के अनुसार, रोजगार जाने का मुख्य कारण कोरोना की दूसरी लहर है। अर्थव्यवस्था में कामकाज सुचारु होने के साथ कुछ हद तक समस्या का समाधान हो जाने की उम्मीद है। लेकिन यह पूरी तरह से नहीं होगा।
व्यास के अनुसार जिन लोगों ने नौकरी गंवाई है, उन्हें नया रोजगार तलाशने में दिक्कत हो रही है। असंगठित क्षेत्र में रोजगार तेजी से सृजित होते हैं, लेकिन संगठित क्षेत्र में अच्छी नौकरियों के आने में थोड़ा समय लगता है।
गौरतलब है कि पिछले साल लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण बेरोजगारी दर 23.5 प्रतिशत के रिकार्ड स्तर तक चली गयी थी।
कई विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर चरम पर पहुंच चुकी है। अब राज्य धीरे-धीरे पाबंदियों में ढील देते हुए आर्थिक गतिविधियों की अनुमति देना शुरू करेंगे।
व्यास ने आगे बताया कि 3-4 प्रतिशत बेरोजगारी दर को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सामान्य माना जाना चाहिए। इससे यह पता चलता है कि स्थिति ठीक होने में समय लग सकता है।
बता दें कि सीएमआईई ने अप्रैल में 1.75 लाख परिवारों का देशव्यापी सर्वे का काम पूरा किया था। इससे पिछले एक साल के दौरान आय सृजन को लेकर चिंताजनक स्थिति सामने आई है।
सर्वे में शामिल परिवारों में से केवल 3 प्रतिशत ने आमदनी बढ़ने की बात कही। 55 प्रतिशत ने आय कम होने की बात कही। वहीं 42 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनकी आय पिछले साल के बराबर बनी हुई है।
व्यास का कहना है कि अगर महंगाई दर को समायोजित किया जाए तो हमारा अनुमान है कि देश में 97 प्रतिशत परिवारों की आय महामारी के दौरान कम हुई है।
(workersunity.com से साभार )