बिहार आंदोलन के नारे

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(किसी भी आंदोलन की सबसे ऊर्जस्वी और संक्षिप्ततम अभिव्यक्ति नारों में होती है। नारे धीरे-धीरे उस आंदोलन की पहचान और प्रेरणा भी बन जाते हैं। लोक-स्मृति में रच-बस जाते हैं। किसी आंदोलन की आकांक्षा और उसके बीज विचार को जानना हो तो उस आंदोलन के नारों पर नजर डालना जरूरी है। इसी खयाल से यहां बिहार आंदोलन- जिसे जेपी आंदोलन भी कहा जाता है- के नारे यहां दिये जा रहे हैं।)

1. सम्पूर्ण क्रांति अब नारा है,

भावी इतिहास हमारा है।

 

2. भ्रष्टाचार मिटाना है,

नया बिहार बनाना है।

 

3. रोजी-रोटी-कपडा दो,

नहीं तो गद्दी छोड़ दो।

 

4. एक विराट मौन टूटा है,

ज्वालामुखी आज फूटा है।

 

5. मंहगाई और भ्रष्टाचार,

सत्ता ही है जिम्मेवार।

 

6. लाठी-गोली-हिंसा-लूट

नहीं किसी को इनकी छूट।

 

7. जनता खुद ही जाग उठेगी,

भ्रष्ट व्यवस्था तभी मिटेगी।

 

8. शासन सत्ता शोषणकारी,

सेवा से ही मुक्ति हमारी।

 

9. होंगे दक्षिण, होंगे वाम

जनता को रोटी से काम।

 

10. पार्टी वालों दूर हटो, हम दुनिया नयी बनाएंगे।

तेरे नारों के चक्कर में, हम न कभी अब आएंगे।

 

11. रिश्वतखोरी भ्रष्टाचार

खतम करे जनता सरकार।

 

12. खेतिहर और मजदूर बेकार

सबके लिए जनता सरकार।

 

13. दो राह! समय का घर-घर नाद सुनो!

सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।

  

14. तुम प्रतिनिधि नहीं रहे हमारे.

अब कुर्सी-गद्दी छोड़ दो!

 

15. समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध,

जो तटस्थ है, समय लिखेगा उनका भी अपराध।

 

16. घर-घर से आया संवाद

छात्र एकता जिंदाबाद।

 

17. सत्य-अहिंसा-शिष्टाचार,

यही हमारा है हथियार।

 

18. छात्र निहत्थे, जनता भोली,

उनपर तुम चलवाते गोली।

 

19. हम विद्यार्थी भाई-भाई.

हमीं मिटाएंगे मंहगाई।

 

20. नया ज़माना, नई जवानी,

देंगे हम अपनी कुर्बानी।

 

21. जयप्रकाश की यही पुकार,

दूर करो यह भ्रष्टाचार।

 

22. महिलाओं की यही पुकार,

मंहगाई दूर करो सरकार।

 

23. जब तक भूखा है इंसान,

नहीं रुकेगा यह तूफ़ान।

 

24. बंद न होगी कलम-जुबान

जब तक भूखा है इंसान।

 

25. सस्ती रोटी, सबको काम,

नहीं तो होगा चक्का जाम।

 

26. लोक-व्यवस्था जाग रही है,

भ्रष्ट व्यवस्था काँप रही है।

 

27. यह कैसा गणतंत्र, गण जिसमें गौण?

यह कैसा जनतंत्र, जनता जिसमें मौन?

 

28. तड़प रहा है आज समाज

यह कुराज है नहीं सुराज।

 

29. दलीय राजनीति तोड़ती है,

दल-मुक्त लोकनीति जोड़ती है।

 

30. लाठी-गोली की बौछार,

सहने को हम हैं तैयार।

 

31. संगीनों में जोर नहीं,

विद्यार्थी कमजोर नहीं।

 

32. भूखी जनता जाग उठी है,

भूखे पेटों से आग उठी है।

 

33. बदले शिक्षा, बदले राज,

चाह रहा है यही समाज।

 

34. क्षुब्ध ह्रदय है बंद ज़बान

मूक हमारी वाणी है

झूठी आकाशवाणी है।

 

35. हिंसा करती है सरकार

शांति हमारा है हथियार।

 

36. हम भारत की नारी हैं,

फूल नहीं चिंगारी हैं।

 

37. जेल का फाटक टूटेगा,

भाई हमारा छूटेगा।

 

38. हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई

सबके घर में है मंहगाई।

 

39. देखो यह इंदिरा का खेल

कहा गयी राशन, पी गयी तेल.

 

40. नवयुवक की एक पुकार

अट्ठारह बरस से मताधिकार।

 

41. रानी तेरे राज में,

बच्चे भूखे-नंगे हैं।

 

42. दम है कितना दमन में तेरे

देख लिया है, देखेंगे।

जगह है कितनी जेल में तेरी

देख लिया, और देखेंगे।

 

43. पुलिस के बल पर विद्यामंदिर

नहीं खुलेंगे, नहीं चलेंगे।

 

44. हमला चाहे जैसा होगा,

हाथ हमारा नहीं उठेगा।

 

45. सच कहना अगर बगावत है

तो समझो हम भी बागी हैं।

 

46. नहीं रुकेंगे बढ़े कदम

मंजिल पर ही लेंगे दम।

 

47. जब तक सत्ता नहीं झुकेगी

तब तक जनता नहीं रुकेगी।

 

48. संघर्ष का पलड़ा भारी है

निश्चित विजय हमारी है।

 

49. सत्ता जीतेगी या संघर्ष?

अगले चुनाव का यह निष्कर्ष।

 

50. जो बेकार बनाती है

वह तालीम निकम्मी है।

 

51. देश की जनता भूखी है

यह आजादी झूठी है।

 

52. पुलिस हमारा भाई है

उससे नहीं लड़ाई है।

 

 

6 मार्च 1975 – संसद मार्च : प्रमुख नारे 

जनता का आदेश बताने –  हम संसद पर आए हैं

महंगाई के घाव दिखाने – हम संसद पर आए हैं।

 

बिहार आन्दोलन जारी है

अब दिल्ली की बारी है।

 

बिहार की गलियाँ सूनी हैं

इंदिरा गांधी खूनी है।

 

बेटा कार बनाता है

माँ बेकार बनाती है।

 

बिहार विधानसभा भंग करो!

भंग करो! भंग करो!!

 

जिन्दा कौमे पांच साल

इंतजार नहीं करतीं! नहीं करतीं!!

 

इंदिरा तेरा इंद्रजाल

नहीं चलेगा, नहीं चलेगा।

 

अँधेरे में एक प्रकाश,

जयप्रकाश!

जय जयप्रकाश!!

 

रोजी-रोटी दे न सके जो वो सरकार निकम्मी है।

जो सरकार निकम्मी है, वो सरकार बदलनी है।

 

सरकार निकम्मी है लेकिन यह देश हमारा अपना है,

इसकी तस्वीर बदलने का लाखों आँखों में सपना है।

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