आपातकाल विरोधी दिवस पर जेपी फाउंडेशन द्वारा “आपात काल से अघोषित आपात काल तक नागरिक आंदोलन की चुनौतियां” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संवाद बेहद व्यापक और सारगर्भित रहा। सभी वक्ता अलग अलग क्षेत्रों से जुड़े बड़े नाम थे जिन्होंने अपनी कर्मठता और काबिलियत से अपना मुकाम हासिल किया है।
संवाद की शुरुआत देश के जाने-माने समाजवादी चिंतक, समाजसेवी और जेपी आंदोलन के समय दो साल जेल में रहे लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष रघु ठाकुर जी ने की। उन्होंने व्यक्तिगत, व्यवस्थागत और दलीय तानाशही की चर्चा करते हुए राजनीतिक दलों की नीयत पर भी सवाल खड़े किए और आम जनता से निर्भय होकर आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने मीडिया की भूमिका की आलोचना करते हुए लोहिया की बात को दोहराया कि तानाशाह वहां पैदा होते हैं जहां दब्बू भक्त होते हैं। उनके पश्चात जेपी द्वारा स्थापित हिन्द मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय समाजवादी समागम के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरभजन सिंह सिद्धू जी ने अपनी बात रखते हुए आपात काल की और वर्तमान परिस्थितियों की आंखों देखी तुलना बेहद विस्तार से की। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के बेचे जाने पर बेहद गंभीर चिंता व्यक्त की जिन्हें औने-पौने दामों पर बेचा जा रहा है।
जेपी द्वारा स्थापित गैर राजनीतक संगठन छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के लिए समर्पित छात्र आंदोलन की उपज पुतुल जी ने अपनी बात साझा करते हुए विद्यार्थी आंदोलन और किसान आंदोलन की चर्चा की और नागरिक आंदोलन के लोगों पर हो रही यातनाओं का जिक्र किया जिसमें उन्होंने वर्तमान में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा मेधा पाटकर को नजरबंद किए जाने की आलोचना करते हुए मीडिया पर भी सवाल खड़ा किए। वरिष्ठ पत्रकार और दैनिक अमर उजाला के सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री जी ने अपनी बातों के दौरान सोचने पर मजबूर करनेवाले कई प्रश्न उठाए और इसी कड़ी में उन्होंने लोगों की मजबूत सरकार की सोच और दलों के अंदर लोकतंत्र पर सवाल खड़ा किया जो दलों के लिए विचारणीय होना चाहिए। सोशल मीडिया को उन्होंने दोधारी तलवार बताया। उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से आपात काल लगाने का हम विरोध करते हैं उसी तरह पुनः 1977 में चुनाव कराने के फैसले को विजय दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए क्योंकि यह जनांदोलन की जीत के परिणामस्वरूप ही संभव हो पाया।
अन्तिम वक्ता के रूप में शिक्षक राजनीति से जुड़े दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के पूर्व सचिव और प्रणेताओं में से एक डॉ. हरीश खन्ना ने भी विषय के संदर्भ में विनोद अग्निहोत्री की बातों को आगे बढ़ाते हुए अपनी बातें रखीं और कोविड काल में लोगों को हो रही परेशानियों का जिक्र करते हुए उन्होंने सरकारों को कठघरे में खड़ा किया। सभा की शुरुआत जेपी फाउंडेशन के मार्गदर्शक और जाने-माने माने समाजशास्त्री प्रोफेसर आनंद कुमार के अध्यक्षीय उद्बोधन से हुई और समापन प्रोफेसर प्रमोद यादव के बेहतरीन अध्यक्षीय विश्लेषण से, जिसमें उन्होंने करुणा, न्याय की बात करते हुए जनतंत्र को सही मायने में जनतंत्र बनाने पर जोर दिया। विषय प्रवेश दिल्ली विश्वविद्यालय के जाने-माने माने शिक्षक नेता, समाजवादी शिक्षक संघ के स्तंभ और जेपी फाउंडेशन के अध्यक्ष शशि शेखर सिंह ने किया जिन्होंने वर्तमान परिस्थितियों की समीक्षा करते हुए चर्चा को संवाद के लिए आगे बढ़ाया। वक्ताओं का परिचय कराते हुए राष्ट्रीय संवाद का संचालन शिक्षक और शिक्षा आंदोलन में सक्रिय जेपी फाउंडेशन के सचिव डॉ. संत प्रकाश ने किया।
– शशिशेखर सिंह, अध्यक्ष, जेपी फाउंडेशन