30 जून। (सुंक्त किसान मोर्चा की प्रेस विज्ञप्ति)। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासियों के प्रतिरोध और बलिदान को याद करते हुए तथा एक न्यायसंगत और समानतापूर्ण भूमि प्रणाली के लिए आहुति देनेवाले किसानों को याद करने के साथ, आज किसानों के धरना स्थलों पर हूल क्रांति दिवस मनाया गया। झारखंड और छत्तीसगढ़ के कई आदिवासी किसान आज इस मोर्चा का हिस्सा थे।
कई दिना से बीजेपी-आरएसएस के गुण्डे गाजीपुर बॉर्डर पर पर काले कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को भड़काने की कोशिश कर रहे थे। भाजपा नेता अमित वाल्मीकि का स्वागत करने के बहाने कई भाजपा-आरएसएस कार्यकर्ता और समर्थक आज गाजीपुर बॉर्डर यूपी गेट धरना स्थल पर आकर किसानों के मंच के करीब चले गए। उन्होंने किसान आंदोलन के खिलाफ नारे भी लगाए। उन्होंने विरोध करनेवाले किसानों को ‘गद्दार’, ‘राष्ट्र विरोधी’, ‘खालिस्तानी’ और ‘आतंकवादी’ कहकर नारे लगाए। भाजपा के गुंडों ने मोर्चा के मंच पर पथराव किया।
इस स्थान पर किसी भाजपा नेता का स्वागत करने का कोई औचित्य नहीं था, और यह केवल भाजपा-आरएसएस की मौके को भांपने की रणनीति के तहत प्रदर्शनकारी किसानों को पुलिस के साथ टकराव को भड़काने के लिए किया गया था। वे आक्रामक रूप से मंच की ओर बढ़े, डिवाइडर को पार करने की धमकी दी। इसपर किसानों ने विरोध किया और उन्हें काले झंडों से घेर लिया।
किसानों ने भाजपा कार्यकर्ताओं को जगह छोड़ने पर जोर दिया। पुलिस पूरे समय मूकदर्शक बनी रही। इस झड़प में, कम से कम 5 किसान घायल हो गए। भाजपा स्पष्ट रूप से किसी न किसी तरह से टकराव और अशांति लाने की कोशिश कर रही है, जिसमें लोगों को जाति के आधार पर बाँटना भी शामिल है। बीजेपी-आरएसएस की ये कायराना रणनीति जगजाहिर है और किसान इसका पुरजोर विरोध करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की मांग है कि जिन अधिकारियों ने एसकेएम-मंच से मुश्किल से 50 मीटर की दूरी पर ‘भाजपा नेता के स्वागत’ की अनुमति दी है, उनकी पहचान की जानी चाहिए और उन्हें दंडित किया जाना चाहिए। हथियार मिलने और वाहनों को क्षतिग्रस्त किए जाने के आरोप जाहिर तौर पर राजनीतिक मोड़ देने वाले हथकंडे हैं। विरोध कर रहे किसानों की ओर से स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है।
महाराष्ट्र में संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के कई किसान नेताओं ने कल राज्य के मुख्यमंत्री से मुलाकात की। उन्होंने 5 जुलाई को आगामी राज्य विधानमंडल सत्र में एक विधानसभा प्रस्ताव के लिए दबाव डाला, जो केंद्र पर तीन काले कानूनों को निरस्त करने और किसानों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी के लिए जोर देगा। प्रतिनिधिमंडल ने उपमुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों से भी मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने महाराष्ट्र के राज्य एपीएमसी अधिनियम में संशोधन की भी मांग की ताकि किसानों के हितों की रक्षा की जा सके। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि उचित लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के बाद और व्यापक विचार-विमर्श करके ही इस तरह के संशोधनों को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए।
केरल में, 26 जून को ‘कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस’ कार्यक्रम की निरंतरता में, किसान नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने वहां के राज्यपाल से मुलाकात की और भारत के राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा।
यह बताया गया है कि केंद्र सरकार दिल्ली वायु प्रदूषण से संबंधित अध्यादेश को केंद्रीय कानून में बदलने के लिए एक विधेयक लाएगी, जो कि आगामी संसद सत्र में (जो संभवतः 19 जुलाई 2021 से होगा) पेश किया जाएगा। एसकेएम की मांग है कि सरकार को इसे गुप्त रूप से नहीं लाना चाहिए क्योंकि इस कानून में पराली जलाने के लिए किसानों को दंडित करने का धूर्त प्रावधान है। दिसंबर 2020 के अंत में एसकेएम नेताओं और सरकार के बीच बातचीत के दौरान सरकार ने विरोध करनेवाले किसानों को मौखिक रूप से आश्वासन दिया था कि किसानों पर जुर्माना-प्रावधान लागू नही होंगे ।
सिंघू बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर और अधिक किसान धरना स्थलों पर पहुंच रहे हैं। हरियाणा के स्थानीय किसानों द्वारा दानोदा से 200 क्विंटल गेहूं दान किया गया है और इसे सिंघू बॉर्डर पर लाया जा रहा है, जो एक बार फिर किसानों के आंदोलन के स्थानीय समर्थन को प्रदर्शित करता है। हूल क्रांति दिवस में शामिल होने के लिए एआईकेकेएमएस (AIKKMS ) से जुड़े किसानों का एक दल बुधवार को हरियाणा से सिंघू बॉर्डर पहुंचा।
हरियाणा में विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को बरवाला गांव में आयोजित बैठक को किसानों के विरोध के कारण रद्द करना पड़ा जबकि रातेवाली गांव मे किसानों के काले झंडे के विरोध का सामना करना पड़ा। किसान बड़ी संख्या में इकट्ठा होने लगे और विरोध में खड़े हो गए और भाजपा नेता का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया।
अन्य जगहों के किसान विभिन्न बुनियादी मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। पंजाब के किसान नियमित बिजली आपूर्ति के लिए, उत्तर प्रदेश के किसान उनके द्वारा किए गए गेहूं और गन्ने की बिक्री के भुगतान के लिए, अन्य राज्यों में किसान धान की खरीद, तेलंगाना के किसान ज्वार के मुआवजे की मांग कर रहे हैं, आदि।
एसकेएम को कई असाधारण व्यक्तियों पर गर्व है जो चल रहे आंदोलन में प्रदर्शनकारी किसानों के साथ संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे ही एक शख्स हैं लुधियाना के गुरप्रीत सिंह सिधवान काला, जिसने किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए अमरीका में अपनी नौकरी छोड़ दी थी। वे पहले सिंगापुर में काम करते थे। गुरप्रीत सिंह ने फैसला किया है कि विदेश लौटने के पहले तब तक संघर्ष का हिस्सा बने रहेंगे, जब तक कि सरकार आंदोलन की मांगों को पूरा नहीं करती है।
जारीकर्ता – बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव
– संयुक्त किसान मोर्चा
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