किसान संघर्ष समिति ने की ऑनलाइन किसान पंचायत

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11 जुलाई। किसान संघर्ष समिति  के अध्यक्ष, पूर्व विधायक डॉ सुनीलम की अध्यक्षता में 283वीं  किसान पंचायत ऑनलाइन सम्पन्न हुई। ऑनलाइन किसान पंचायत को संबोधित करते हुए  डॉ सुनीलम ने  कहा कि दिल्ली के बॉर्डरों पर चल रहे किसान आंदोलन को 228 दिन हो गए हैं। 525 किसानों की शहादत के बावजूद केंद्र सरकार 3 किसान विरोधी कानून रद्द करने, बिजली संशोधन बिल 2020 वापस लेने तथा सभी कृषि उत्पादों की लागत से डेढ़ गुना दाम पर खरीद की कानूनी गारंटी देने को तैयार नहीं है।  इसी तरह कोरोना काल में सरकार ने श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए 4 लेबर कोड देश के 54 करोड़ मजदूरों पर थोप दिए हैं। 16 जून को डिफेंस फैक्ट्रियों की हड़ताल से घबराकर मजदूरों की हड़ताल को अवैध घोषित करनेवाला अध्यादेश लागू कर दिया गया है जैसा 1974 की हड़ताल के पहले लागू किया गया था।

डॉ सुनीलम ने कहा कि हाल ही में 23 हजार करोड़ से बननेवाले सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट, जिससे देश में 182 एम्स स्तर के अस्पताल बन सकते हैं, के खिलाफ संघर्ष की शुरुआत की गई है। किसान संघर्ष समिति आन्दोलन का समर्थन करेगी।

किसान पंचायत में मूंग उत्पादक किसानों की पूरी उपज खरीदने, चिंकी बांध निर्माण कार्य पर रोक लगाने, रेलवे द्वारा अधिग्रहित की गई  भूमि के बदले परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और पांच लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने, खरगोन में सेंचुरी कपड़ा मिल के मजदूरों को जबरिया वीआरएस रोक लगाने, आदिवासियों को जमीन से  वन विभाग द्वारा बेदखल किए जाने पर तत्काल रोक लगाने, ग्रामीण क्षेत्रों में सभी का वैक्सिनेशन निशुल्क करने की मांग सम्बन्धी प्रस्ताव पारित किए गए।

किसान पंचायत को संबोधित करते हुए किसंस की उपाध्यक्ष एड. आराधना भार्गव ने कहा कि सरकार किसानों की उपज की एमएसपी पर खरीदी करने के लिए पंजीयन तो कराती है लेकिन पूरी उपज की सही समय पर खरीद नहीं करती। मूंग उत्पादक किसानों का पंजीयन होने के बावजूद एक महीने से खरीद शुरू नहीं की है। उन्होंने नेमावर  हत्याकांड पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में आदिवासियों पर लगातार आत्याचार हो रहे है।

किसान संघर्ष समिति के मालवा-निमाड़ संयोजक रामस्वरूप मंत्री ने मानपुर की खेती की जमीन पर पीथमपुर की कंपनियों का जहरीला केमिकल डंप किए जाने और उससे पेयजल स्रोत और खेती बर्बाद होने की स्थिति पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि पिछले 1 महीने से इंदौर और धार जिले की 2 पंचायतों के 40 से ज्यादा गांवों के लोग पीने के पानी को तरस रहे हैं और आदिवासियों में आक्रोश है। रविवार को वहां बड़ी किसान महापंचायत हुई है, आंदोलन को तेज किया जाएगा। इसी के साथ सेंचुरी कपड़ा मिल के मजदूरों को जबरिया वीआरएस और गैरकानूनी तरीके से मिल बंद किए जाने तथा आदिवासियों को जमीन से  वन विभाग द्वारा बेदखल किए जाने पर भी उन्होंने प्रकाश डाला और अपील की कि आदिवासियों की भूमि और मकान छीने जाने के खिलाफ एक बड़े आंदोलन की जरूरत है जिसमें सभी जनसंगठनों की भागीदारी होनी चाहिए।

रीवा से संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक शिव सिंह  ने कहा  कि रेलवे भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों की एक बड़ी समस्या प्रदेश के अंदर खड़ी है। रीवा-सीधी सिंगरौली रेलमार्ग के लिए सन 2009 एवं 2010 में किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी। मुआवजे के साथ-साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिए जाने का प्रावधान था। जब नौकरी नहीं दी जा रही थी उस दौरान उन्होंने लगातार लड़ाई लड़ी है। अभी तक  भूमि अधिग्रग्रहण के बाद लगभग 800 परिवारों में से सिर्फ कोई 400 परिवारों के एक-एक सदस्य को ही नौकरी दी गई है, शेष अभी नौकरी से वंचित हैं।

जिन किसान परिवारों के बच्चे नाबालिग थे उनको नौकरी नहीं दी जा रही और जिन किसानों ने अपने नाती को नौकरी हेतु आवेदन दिलाया था उनको भी नौकरी नहीं दी जा रही तथा एक आदेश रेलवे बोर्ड ने नवंबर 2019 में जारी किया है कि अब जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की जाएगी उनको मुआवजे के साथ नौकरी के बदले पांच लाख रुपये की सहायता अतिरिक्त दी जाएगी, नौकरी नहीं दी जाएगी। बालाघाट के किसानों की बाबत भी रेलवे प्रबंधन ने इसी तरह का निर्णय किया है। कटंगी तिरोड़ी ब्रॉडगेज लाइन हेतु 214 किसान परिवारों की जमीन अधिग्रहित की गई थी  जिसमें  मात्र 42 लोगों को नौकरी दी गई है, शेष अब भी वंचित हैं।

सागर से भारतीय किसान श्रमिक जनशक्ति यूनियन के अध्यक्ष संदीप ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में छोटे-छोटे कामों के लिए सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। मनरेगा, मकान निर्माण कार्य, कूप खनन, सड़क निर्माण कार्य, सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधियों की सिफारिश के बगैर नहीं किए जाते हैं। कई महीनों से किसान आंदोलन चल रहा है, प्रदेश में भी कई बार धरना-प्रदर्शन हुआ, ज्ञापन दिए गए, लेकिन यह गूंगी-बहरी सरकार देखने और सुनने को तैयार नहीं।

सागर से किसंस के जिलाध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त सैनिक अभिनय श्रीवास ने कहा कि सागर की  प्रसिद्ध झील पर से अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर वे शीघ्र ही जिलाधीश को ज्ञापन सौंपेंगे। किसंस के रीवा क्षेत्र संयोजक इंद्रजीत सिंह ने कहा कि रीवा में 191 दिन से  किसान आंदोलन  चल रहा है। 13 जुलाई को अघोषित बिजली कटौती व अन्य विद्युत समस्याओं को लेकर रीवा में अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा किया जा रहा है। रीवा जिले से 22 जुलाई को लोकसभा कार्यवाही दौरान  किसान  दिल्ली आंदोलन में शामिल होंगे तथा कलेक्ट्रेट के समक्ष प्रदर्शन करेंगे।

सिवनी से किसंस के प्रदेश सचिव डॉ राजकुमार सनोडिया ने कहा कि  पेंच व्यापवर्तन परियोजना से प्रभावित किसानों की भूमि जिसमें मलबा, पत्थरों का ढेर पड़ा है एवं पानी निकासी ना होने से किसानों को हर वर्ष फसल की क्षति हो रही है उन स्थलों का निरीक्षण कर क्षतिपूर्ति राशि दिलाई जाय तथा सरकार द्वारा किये गये वादे का पालन करते हुए लालमाटी क्षेत्र में पानी की अविलंब व्यवस्था किसानों के लिए की जाय।

रायसेन से किसंस के प्रदेश सचिव श्रीराम सेन ने कहा कि 22 जुलाई को किसानों की आवाज संसद तक पंहुंचाने   वे साथियों के साथ दिल्ली पहुंचेंगे। हरदा से किसंस जिलाध्यक्ष योगेश तिवारी ने कहा कि सरकार फसल बीमा की किस्त किसानों से लेती है लेकिन फसल नष्ट होने पर ना तो फसल बीमा की दावा-राशि दी जाती है ना मुआवजा मिलता है। प्रदेश में अवैध रेत खनन माफिया पर अंकुश लगाने में सरकार नाकाम रही है।

सिवनी से वरिष्ठ किसान नेता रघुवीर पटेल ने कहा कि किसान एक ओर महामारी से लड़ रहा है दूसरी ओर सरकार महंगाई बढ़ाकर किसान, मजदूर और आम नागरिकों का शोषण कर रही है। हमें बीमारी के साथ-साथ सरकार की गलत नीतियों से भी लड़ना है।

नरसिंहपुर से बीकेयू के जिला अध्य्क्ष  बाबूलाल पटेल ने कहा कि चिंकी बांध बहुत उंचाई तक बन रहा है। सरकार डूब क्षेत्र की सही जानकारी किसानों को नहीं दे रही है।  किसानों को मात्र  2 से 3 क्विंटल मूंग की ही एमएसपी पर (7275 रु.) खरीदी  के मैसेज मिले हैं।  बाकी उपज मजबूरन व्यापारियों को 4500 – 5000 रु. प्रति क्विंटल पर बेच रहे हैं।

सिवनी से किसंस के जबलपुर संभाग के संयोजक राजेश पटेल ने कहा कि मोदी सरकार एवं भाजपा शासित राज्यों की सरकारें  जनांदोलन को खत्म करने पर तुली रहीं, परंतु किसानों की एकता के सामने  सरकारें चारों खाने चित हो गई हैं।  तमाम हथकंडों से हारकर केंद्र में भारी फेरबदल कर जम्बो मंत्रिडल बनाकर अर्थव्यवस्था की कमर को और तोड़ डाला है और झूठा प्रचार किया जा रहा है कि यह बहुजनों की सरकार है।

किसान संघर्ष समिति के महामंत्री भागवत परिहार, मंडला जिलाध्यक्ष राम सिंह कुलस्ते, अलीराजपुर  जिलाध्यक्ष नवनीत मंडलोई, सिवनी से युवा किसान नेता परसराम सनोडिया, महेंद्र कुमार राय, उत्तरप्रदेश के प्रदेश महामंत्री रमेश यादव, ग्वालियर से प्रदेश सचिव एडवोकेट राय सिंह, किसंस के जिला प्रवक्ता कृष्ण कुमार आदि ने भी ऑनलाइन किसान पंचायत को संबोधित किया।

– भागवत परिहार

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