संसद में उठे किसानों के मुद्दे, प्रधानमंत्री की गलतबयानी पर रोष

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19 जुलाई। सोमवार को संसद का मानसून सत्र शुरू हो गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने इससे पहले सभी सांसदों को एक पीपुल्स व्हिप जारी किया था और एसकेएम के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने कई सांसदों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की थी। विपक्षी सांसदों ने संसद के दोनों सदनों में उन मुद्दों को उठाया जिन्हें किसान आंदोलन कई महीनों से उठा रहा है।

प्रधानमंत्री ने विपक्षी सांसदों के नारों के जवाब में आरोप लगाया कि विपक्षी दल महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और अन्य वंचित समुदायों और किसानों के बच्चों को मंत्रियों के पद पर पदोन्नत करने का समर्थन नहीं कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के इस बयान को संयुक्त किसान मोर्चा ने निरर्थक ठहराया है। मोर्चा का कहना है कि जो नारे लगाए जा रहे थे वे उन लोगों के हैं जिन्हें विभिन्न क्षेत्रों में सरकार के अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक कानूनों और नीतियों का सामना करना पड़ रहा है।

एसकेएम ने कहा है कि महिलाओं, दलितों, आदिवासियों, किसानों और ग्रामीण भारत के अन्य लोगों सहित हाशिये पर रहनेवाले समुदायों को सच्चा सम्मान तभी मिलेगा जब उनके हितों की वास्तव में रक्षा की जाएगी। इसके लिए सरकार को तीन किसान विरोधी कानूनों और चार मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं को रद्द करने और ईंधन की कीमतों को कम से कम आधा करने के अलावा सभी किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांगों पर अमल करना चाहिए। अन्यथा बचाव के लिए खोखले शब्द अर्थहीन हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने बयान में यह भी कहा है कि दिल्ली पुलिस, किसानों की संसद विरोध मार्च को ‘संसद घेराव’ करार दे रही है। जबकि मोर्चा ने पहले ही सूचित कर दिया था कि संसद की घेराबंदी करने की कोई योजना नहीं है, और विरोध शांतिपूर्ण तथा अनुशासित होगा। मोर्चा ने कहा कि दिल्ली पुलिस जानबूझकर गलत सूचना दे रही है, उसे ऐसा करने से बचना चाहिए।

सिरसा में अनशन जारी

हरियाणा के सिरसा में सरदार बलदेव सिंह अनिश्चितकालीन आमरण अनशन आज दूसरे दिन में प्रवेश कर गया। प्रशासन ने प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांगों- कि सभी मामलों को वापस लिया जाए और गिरफ्तार किए गए किसान नेताओं को तुरंत रिहा कर दिया जाए- को अभी तक पूरा नहीं किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि हरियाणा पुलिस और प्रशासन शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे किसानों पर राजद्रोह और अन्य गंभीर आरोप लगाने में अपनी हद से आगे बढ़ रहे हैं और यह पूरी तरह से आपत्तिजनक और अस्वीकार्य है।

एसएसपी का आश्वासन

चंडीगढ़ की एक नागरिक समिति ने एसकेएम लीगल सेल के प्रेम सिंह भंगू के साथ, प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों और तीन प्रदर्शनकारियों को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के संबंध में सोमवार को चंडीगढ़ प्रशासन से मुलाकात की। एसएसपी ने आश्वासन दिया कि रखी गई मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और पूरा किया जाएगा। इसमें गिरफ्तार किए गए प्रदर्शनकारियों के लिए जमानत, हाल की घटनाओं के साथ-साथ 26 जून को दर्ज मामलों पर पुनर्विचार और आगे कोई गिरफ्तारी नहीं करना शामिल है।

भाकियू कादियान का स्पष्टीकरण

भाकियू कादियान ने स्पष्टीकरण जारी किया है कि उन्होंने चंडीगढ़ में सड़कों को अवरुद्ध करने के लिए कोई आह्वान नहीं किया है। न तो एसकेएम और न ही भाकियू कादियान ने ऐसा कोई आह्वान किया है, और इस तरह के आह्वान के बारे में सोशल मीडिया में प्रसारित की जा रही कोई भी खबर फर्जी है, और इसे नजरअंदाज किया जाना चाहिए।

सरकार अपने वादे से पलटी

एसकेएम ने ध्यान दिलाया है कि भारत सरकार ने मानसून सत्र के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग विधेयक 2021 (फिर से जारी किए गए अध्यादेश को बदलने के लिए) के साथ-साथ विद्युत संशोधन विधेयक 2021 को विधायी व्यवसाय के तहत सूचीबद्ध किया है। एसकेएम ने सरकार को इन मामलों पर 30 दिसंबर 2020 को प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रति की गई प्रतिबद्धता से मुकरने के खिलाफ चेतावनी दी है।

एसकेएम ने लंदन में भारतीय उच्चायोग के बाहर किसान आंदोलन के समर्थन में आयोजित विरोध प्रदर्शन की सराहना की है।

दिल्ली के बार्डरों पर किसानों के विरोध कैंप लगातार बारिश से जूझ रहे हैं। फिर भी वे बहादुरी और बिना शिकायत के कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। दरअसल वे बारिश पर खुशी जाहिर कर रहे हैं, क्योंकि यह बोई गई खरीफ फसलों के लिए अच्छा है।

संसद घेराबंदी के पोस्टरों की निंदा

भारतीय संसद की घेराबंदी की मांग करने वाले कुछ सोशल मीडिया पोस्टरों की संयुक्त किसान मोर्चा ने कड़ी निंदा की है। एसकेएम ने कहा है कि इस तरह के सभी आह्वान, असली या नकली, किसान विरोधी हैं, और चल रहे किसान आंदोलन के हितों के खिलाफ हैं। एसकेएम और प्रदर्शन कर रहे किसानों का इस तरह के आह्वान या ऐसे किसी संगठन से कोई लेना-देना नहीं है।

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